सोजत न्यूज़ | वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
नई दिल्ली: देश की न्याय प्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब सर्वोच्च न्यायालय के जज अपनी संपत्ति की घोषणा सार्वजनिक रूप से करेंगे। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के पूर्ण न्यायालय (Full Court) की बैठक में लिया गया, जिसमें सभी न्यायाधीशों ने सहमति व्यक्त की। इस फैसले के तहत अब जजों की संपत्ति का ब्योरा सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा।
स्वैच्छिक रूप से होगी संपत्ति की घोषणा
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी एक प्रेस नोट में बताया गया कि यह घोषणा पूरी तरह से स्वैच्छिक होगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना सहित 30 न्यायाधीशों ने पहले ही अपनी संपत्ति की घोषणा कर दी है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह कदम न्यायिक व्यवस्था में विश्वास को और अधिक सुदृढ़ करेगा।
प्रेस नोट में यह भी कहा गया कि “सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण अदालत ने संकल्प लिया है कि जजों को अपने पदभार ग्रहण करने के समय और भविष्य में जब भी कोई महत्वपूर्ण संपत्ति अधिग्रहण किया जाए, तब उन्हें इसकी घोषणा करनी होगी। यह घोषणा भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा भी की जाएगी।”
CJI संजीव खन्ना का बड़ा आदेश
इस फैसले के बाद अब देश के आम नागरिक भी सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि “यह निर्णय पारदर्शिता और न्यायिक जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।” सुप्रीम कोर्ट के सभी 33 जज अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करेंगे।
न्यायपालिका में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
यह फैसला भारतीय न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। इससे पहले, जजों की संपत्ति की घोषणा का कोई अनिवार्य प्रावधान नहीं था। हालांकि, कई बार इस मुद्दे पर बहस होती रही है कि न्यायपालिका में भी पारदर्शिता होनी चाहिए। अब इस निर्णय के लागू होने के बाद न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और विश्वास और अधिक मजबूत होगा।
जनता की प्रतिक्रिया
इस निर्णय के बाद देशभर में इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न्यायपालिका के प्रति लोगों का भरोसा और अधिक मजबूत होगा।
क्या कहता है कानून?
हालांकि, अभी तक संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था जो न्यायाधीशों को अपनी संपत्ति सार्वजनिक करने के लिए बाध्य करता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्वैच्छिक रूप से यह पहल की है, जो कि भविष्य में एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को एक नई दिशा देगा। अब सभी न्यायाधीशों की संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होगी, जिससे न्यायपालिका में विश्वास और भी मजबूत होगा।