✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
नई दिल्ली।
दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट बढ़ गई है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ सादगी और पारदर्शिता की राजनीति का दावा करते रहे हैं, वहीं अब एक ताजा आरटीआई खुलासे ने उनके कथित ‘राजसी जीवन’ पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरटीआई के अनुसार, दिल्ली के 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित सरकारी आवास के रखरखाव पर 2015 से 2022 तक कुल 29.56 करोड़ रुपये खर्च हुए। यानी हर साल औसतन 3.69 करोड़ रुपये सिर्फ रखरखाव पर खर्च हुए—जिसमें सामान्य टूट-फूट, सीवर, बिजली, और बढ़ईगीरी जैसे कार्य शामिल हैं।
BJP का तीखा हमला: ‘सादगी का मुखौटा उतर गया’
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस खुलासे को लेकर केजरीवाल पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सादगी की राजनीति का दावा करते रहे, लेकिन हकीकत में उनका जीवन ‘पांच सितारा’ शैली से कम नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि पहले ही केजरीवाल पर 52 करोड़ रुपये की लागत से ‘शीशमहल’ जैसे बंगले को बनवाने का आरोप लग चुका है, और अब रखरखाव खर्च में करोड़ों की राशि ने उस पर मुहर लगा दी है।
उद्योगपतियों के बंगले भी इतने महंगे नहीं
वीरेंद्र सचदेवा ने तंज कसते हुए कहा, “दिल्ली में बड़े-बड़े उद्योगपतियों के घरों का रखरखाव भी इतना महंगा नहीं होता जितना केजरीवाल के सरकारी बंगले का हुआ।” उन्होंने कहा कि यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या यह सिर्फ रखरखाव था या फिर इस खर्च की आड़ में भ्रष्टाचार का भी खेल खेला गया।
आरटीआई से हुआ खुलासा
महाराष्ट्र के एक नागरिक द्वारा दाखिल की गई आरटीआई के जवाब में दिल्ली सरकार ने 29 दिसंबर 2023 को यह जानकारी दी। इस जानकारी के अनुसार, 31 मार्च 2015 से 27 दिसंबर 2022 के बीच केजरीवाल के पुराने बंगले पर 29.56 करोड़ रुपये खर्च किए गए। हर साल औसतन 3.69 करोड़ रुपये का खर्च यानी हर महीने करीब 31 लाख रुपये का रखरखाव, यह आंकड़े निश्चित तौर पर चौंकाने वाले हैं।
भाजपा का सवाल: बंगले में ऐसी कौन सी कमी थी?
सचदेवा ने तीखे लहजे में सवाल किया, “जब दिल्ली में 3-4 करोड़ में एक शानदार 250 से 300 गज का बंगला बन जाता है, तो केजरीवाल के बंगले का रखरखाव ही हर साल उतना क्यों हुआ? क्या उनका बंगला जर्जर था या फिर जानबूझकर खर्च बढ़ाकर जनता के पैसे का दुरुपयोग किया गया?”
केजरीवाल की चुप्पी पर भी सवाल
भाजपा नेता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल काफी समय से मीडिया से दूर हैं और किसी भी मुद्दे पर स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे। उन्होंने मांग की कि केजरीवाल खुद सामने आएं और जनता को यह बताएं कि उनके सरकारी आवास पर इतने अधिक खर्च की आखिर वजह क्या थी।
क्या बोले आम आदमी पार्टी?
इस खुलासे पर अब तक आम आदमी पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है और केजरीवाल की ‘सादगी की राजनीति’ सवालों के घेरे में आ गई है।
केजरीवाल जिन दावों के साथ राजनीति में आए थे, अब उन्हीं दावों की सच्चाई पर आरटीआई और भाजपा के आरोपों ने बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। क्या यह केवल रखरखाव था या कोई बड़ा घोटाला—यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा, लेकिन फिलहाल केजरीवाल की चुप्पी और भाजपा के आरोपों ने दिल्ली की सियासत में एक बार फिर हलचल मचा दी है।