✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सोजत।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी और कोच संजय बांगड़ के बेटे आर्यन बांगड़ ने अब जेंडर चेंज कर एक नई पहचान के साथ समाज के सामने कदम रखा है। अब वे अनाया बांगड़ के नाम से जानी जाती हैं। अनाया ने एक हालिया इंटरव्यू में अपनी निजी जिंदगी के अनुभव साझा किए हैं, जो न केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि भारतीय क्रिकेट जगत की छवि पर भी सवाल खड़े करते हैं।
“मैं अब अनाया हूं…”
साल 2023 में अनाया बांगड़ ने HRT (Hormone Replacement Therapy) शुरू की और इसके बाद उन्होंने जेंडर चेंज सर्जरी करवाई। उन्होंने इंटरव्यू में बताया कि यह निर्णय उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन अपने अस्तित्व और पहचान को लेकर वे पूरी तरह स्पष्ट थीं। अनाया कहती हैं, “मैं हमेशा से जानती थी कि मैं कौन हूं, लेकिन समाज की अपेक्षाओं और पारिवारिक पहचान के चलते खुद को छिपाना पड़ा।”

क्रिकेटरों की न्यूड तस्वीरें और गालियां
इंटरव्यू में अनाया ने एक ऐसा पहलू भी सामने रखा जो बेहद गंभीर और चौंकाने वाला है। उन्होंने बताया कि कुछ क्रिकेटर्स ने उन्हें न्यूड फोटो भेजे थे और जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें गालियां दी गईं। अनाया ने यह भी खुलासा किया कि एक दिग्गज क्रिकेटर ने उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने की बात कही थी।
अनाया ने बताया, “एक बार मैं इंडिया में थी और मैंने एक वरिष्ठ क्रिकेटर को अपनी सिचुएशन बताई। ये सब मेरी हार्मोन थेरेपी शुरू होने से पहले हुआ। उन्होंने मेरी बात सुनकर कहा – चलो, तुम्हारी कार में चलते हैं… मैं तुम्हारे साथ सोना चाहता हूं।”
इस घटना ने उन्हें स्तब्ध कर दिया। हालांकि अनाया ने उस क्रिकेटर का नाम साझा करने से इनकार कर दिया, लेकिन उनका यह बयान क्रिकेट जगत में हलचल मचा सकता है।
क्रिकेट करियर पर पड़ा असर
अनाया बांगड़ ने बताया कि उनका ट्रांसजेंडर होने का सफर उनके क्रिकेट करियर पर भारी पड़ा। उन्होंने खुद को टीमों से बाहर महसूस किया और जब उन्होंने खुद को व्यक्त करने की कोशिश की, तो समाज से तिरस्कार और ताने झेलने पड़े। वे कहती हैं कि ट्रांस-वूमन को केवल सामाजिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि खेल की दुनिया में भी बराबरी नहीं मिलती।
ट्रांस-वूमन के संघर्ष की झलक
अनाया ने ट्रांस-वूमन समुदाय को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत में आज भी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को वह सम्मान और अधिकार नहीं मिलता, जिसके वे हकदार हैं। “मेरे जैसे कई लोग हैं जो आज भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमें समाज की स्वीकृति नहीं, बराबरी चाहिए।”
परिवार की प्रतिक्रिया पर साधी चुप्पी
अनाया बांगड़ ने संजय बांगड़ और अपने परिवार की प्रतिक्रिया पर कोई सीधा बयान नहीं दिया, लेकिन इतना जरूर कहा कि “समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है। जो आज समझ नहीं पा रहे, वे शायद कल समझें।”
अनाया बांगड़ की यह कहानी न केवल साहस की मिसाल है, बल्कि भारतीय समाज और खेल जगत को आईना दिखाने वाली है। एक ट्रांस-वूमन के संघर्ष, आत्म-स्वीकृति और सामाजिक असमानता की यह दास्तान हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपनी पहचान के लिए लड़ रहा है। अनाया का यह खुलासा निश्चित रूप से एक नई बहस की शुरुआत करेगा – क्या भारतीय खेल जगत ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को स्वीकार करने के लिए तैयार है?