✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
जयपुर/सोजत।
राजस्थान के लिए एक बड़ी खुशखबरी की संभावना बन रही है। पाकिस्तान से सिंधु जल समझौता स्थगित होने के बाद अब राजस्थान सहित देश के कई राज्यों को सिंधु नदी का पानी मिलने की उम्मीद जागी है। प्रदेश के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के बीच इस मुद्दे पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सिंधु नदी के पानी को डायवर्ट कर जम्मू-कश्मीर से रावी और ब्यास नदियों के माध्यम से हरिके बैराज तक पहुंचाया जा सकता है, जहां से इंदिरा गांधी नहर के जरिए राजस्थान तक अतिरिक्त जल सप्लाई संभव होगी।
सिंधु नदी का पानी कैसे पहुंचेगा राजस्थान?
वर्तमान योजना के अनुसार, सिंधु नदी के पानी को रावी और ब्यास नदियों के जरिए सतलुज नदी में मिलाया जाएगा। सतलुज का पानी हरिके बैराज (पंजाब) तक आता है, जहां से इंदिरा गांधी नहर के माध्यम से यह राजस्थान के पश्चिमी जिलों में वितरित किया जाता है। पहले भी इस प्रकार की योजना पर चर्चाएं हुई थीं, लेकिन पाकिस्तान से सिंधु जल समझौता चलते मामला अधर में लटक गया था। अब समझौता स्थगित होने के बाद फिर से इस योजना को मूर्तरूप देने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
फीडरों की क्षमता बढ़ाना होगी पहली प्राथमिकता
हरिके बैराज सतलुज और व्यास नदियों के संगम पर स्थित है। यहीं से इंदिरा गांधी नहर निकलती है। लेकिन इस पानी को राजस्थान तक लाने के लिए सरहिंद फीडर (पंजाब), राजस्थान फीडर (हरियाणा) और इंदिरा गांधी नहर के विभिन्न हिस्सों की मरम्मत और क्षमता वृद्धि जरूरी है।
जानकारी के अनुसार, करीब 197 किलोमीटर लंबाई में इन संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण और विस्तार कार्य चल रहा है। इनकी क्षमता बढ़ाने के बाद अतिरिक्त पानी को संभालना संभव हो सकेगा।
6 हजार क्यूसेक अतिरिक्त पानी मिलेगा राजस्थान को
हरिके बैराज में बारिश के मौसम में ओवरफ्लो पानी पंजाब के रास्ते पाकिस्तान चला जाता है। यदि फीडर और नहर की स्थिति बेहतर कर दी जाए, तो इस पानी को रोका जा सकता है और राजस्थान तक लाया जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, फीडर और नहरें सुदृढ़ होने के बाद करीब 6 हजार क्यूसेक अतिरिक्त पानी राजस्थान को मिलेगा। इसका सीधा फायदा फसल की सिंचाई और गर्मी के मौसम में पेयजल संकट से राहत के रूप में होगा।
वर्तमान में इंदिरा गांधी नहर से करीब 18,400 क्यूसेक पानी राजस्थान आता है, लेकिन फीडरों की जर्जर स्थिति के कारण ज्यादा पानी नहीं लाया जा सकता। नई योजना के बाद पानी की उपलब्धता में जबरदस्त सुधार की संभावना है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह पानी?
- राजस्थान के पश्चिमी इलाकों (जैसे बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर) में सिंचाई और पेयजल का बड़ा संकट रहता है।
- अतिरिक्त पानी से खेती का रकबा बढ़ेगा और किसान समृद्ध होंगे।
- पेयजल संकट से जूझ रहे शहरों और गांवों को बड़ी राहत मिलेगी।
- पर्यावरणीय और आर्थिक विकास को भी नई गति मिलेगी।
अब आगे क्या?
जल संसाधन विभाग ने इस योजना पर गंभीरता से काम शुरू कर दिया है। तकनीकी अध्ययन और ढांचागत सुधार के लिए प्रस्ताव तैयार हो रहे हैं। केंद्र सरकार के स्तर पर भी इस मुद्दे पर बातचीत तेज हो गई है। यदि सभी प्रक्रिया सुचारू रही, तो आने वाले वर्षों में राजस्थान में पानी की कमी की समस्या काफी हद तक समाप्त हो सकती है।