नई दिल्ली, 28 अप्रैल 2025 — केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से संचालित होने वाले 16 यूट्यूब चैनलों पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें भारत में प्रतिबंधित कर दिया है। यह कदम गृह मंत्रालय की सिफारिश पर उठाया गया, जिसमें इन चैनलों पर भारत के खिलाफ भड़काऊ और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री फैलाने, झूठी एवं भ्रामक जानकारी प्रसारित करने का आरोप लगाया गया।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, ये चैनल विशेष रूप से भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों को बदनाम करने में सक्रिय थे, खासतौर पर 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद। इस हमले में 26 लोग, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे, मारे गए थे। हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था।
डिजिटल स्ट्राइक के तहत बैन किए गए चैनल
27 अप्रैल को जारी एक आधिकारिक सूची के अनुसार, प्रतिबंधित चैनलों में पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया नेटवर्क शामिल हैं, जैसे:
जियो न्यूज — 18.1 मिलियन सब्सक्राइबर
एआरवाई न्यूज — 14.6 मिलियन सब्सक्राइबर
समा टीवी — 12.7 मिलियन सब्सक्राइबर
डाउन न्यूज — 1.96 मिलियन सब्सक्राइबर
बोल न्यूज, जीएनएन, और सुन्नो न्यूज एचडी और पुर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब अख्तर का युट्यूब चैनल भी शामिल है ।प्रतिबंधीत किये गये सभी 16 चैनल भी सूची यह हैं।

इसके अलावा, व्यक्तिगत यूट्यूब चैनल जैसे इरशाद भट्टी (827K सब्सक्राइबर) और रफ्तार (804K सब्सक्राइबर) भी प्रतिबंधित किए गए हैं। इन सभी चैनलों के पास मिलाकर कुल 63.08 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर थे, जो उनकी व्यापक डिजिटल पहुंच को दर्शाता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया कदम
सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई भारत की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए अनिवार्य थी। इन चैनलों पर गलत सूचना फैलाकर देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने का आरोप था।
गौरतलब है कि पहलगाम हमले के बाद 24 अप्रैल से महज चार दिनों के भीतर 537 पाकिस्तानी नागरिक, जिनमें नौ राजनयिक भी शामिल थे, भारत छोड़कर अटारी-वाघा सीमा के जरिए पाकिस्तान लौट गए। वहीं, 850 भारतीय नागरिक पाकिस्तान से भारत लौटे। सरकार ने इस हमले के तार पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से जोड़ते हुए, डिजिटल प्रोपेगेंडा पर नकेल कसने का निर्णय लिया।
यह डिजिटल स्ट्राइक पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित साइबर और मीडिया हमलों पर भारत की सख्त प्रतिक्रिया के रूप में देखी जा रही है। आने वाले दिनों में इस कदम के कूटनीतिक और राजनीतिक प्रभावों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी नजर बनी रहेगी।