✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
हर साल 25 मई से 2 जून तक का समय भारत में एक विशेष प्राकृतिक और ज्योतिषीय घटना के रूप में जाना जाता है, जिसे ‘नौतपा’ कहा जाता है। यह अवधि न केवल मौसम में बदलाव का संकेत देती है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य और कृषि व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डालती है। इस खबर में हम जानेंगे कि आखिर नौतपा क्या है, क्यों इसे जरूरी माना जाता है, और इन नौ दिनों में क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए।
नौतपा क्या है?
‘नौतपा’ का शाब्दिक अर्थ है – नौ दिनों की तपन। यह वह समय होता है जब सूर्य अपने उच्चतम प्रभाव में होता है और पृथ्वी पर गर्मी चरम पर होती है। यह ज्येष्ठ मास की वह अवधि होती है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है। 2025 में सूर्य 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा और 2 जून तक रहेगा। इस दौरान सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती हैं, जिससे तापमान में अत्यधिक वृद्धि होती है।
नौतपा क्यों जरूरी है?
- मानसून की तैयारी का समय:
नौतपा को मानसून की पूर्व तैयारी माना जाता है। मान्यता है कि अगर इन नौ दिनों में तेज गर्मी पड़ती है, तो मानसून अच्छा रहता है। यानी यह गर्मी जितनी अधिक होती है, वर्षा उतनी ही प्रचुर होती है। - कृषि पर प्रभाव:
यह समय किसानों के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी के आधार पर वे अनुमान लगाते हैं कि आगामी बारिश कैसी होगी। इसलिए नौतपा को ग्रामीण और कृषि जीवन में विशेष महत्व प्राप्त है। - शरीर की शुद्धि का समय:
आयुर्वेद के अनुसार नौतपा शरीर की गर्मी को बाहर निकालने और पाचन को संतुलित करने का समय होता है। शरीर के विषैले तत्व इस समय बाहर निकलते हैं।
नौतपा में क्या करें?
- ज्यादा से ज्यादा जल का सेवन करें:
इस समय शरीर को हाइड्रेट रखना अत्यंत आवश्यक होता है। नींबू पानी, शिकंजी, छाछ, बेल का शरबत, नारियल पानी आदि पीना लाभदायक होता है। - सादा और ठंडा भोजन करें:
खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, दही, चावल, मूंग की दाल आदि का सेवन करें। ये पाचन में हल्के होते हैं और शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं। - धूप से बचाव करें:
बाहर निकलते समय सिर को ढक कर रखें, चश्मा पहनें और हल्के रंगों वाले सूती कपड़े पहनें। - घर में ठंडक बनाए रखें:
तुलसी, पुदीना और गुलाब जल का प्रयोग करें। घर में मिट्टी के घड़े का पानी रखें और छत पर छिड़काव करें।
नौतपा में क्या न करें?
- तेज धूप में ज्यादा समय न बिताएं।
इससे लू लगने और डिहाइड्रेशन की संभावना होती है। - तला-भुना और मिर्च-मसालेदार भोजन न करें।
इससे शरीर में गर्मी और एसिडिटी बढ़ सकती है। - कोल्ड ड्रिंक या बहुत ठंडी चीजें तुरंत न पिएं।
इससे गला खराब हो सकता है और शरीर का तापमान असंतुलित हो सकता है। - ज्यादा मेहनत वाला काम दोपहर के समय न करें।
दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच विशेष सावधानी बरतें।
नौतपा और धार्मिक मान्यता
भारतीय पंचांग और धर्मशास्त्रों में नौतपा को एक तपस्या का समय माना गया है। कई लोग इस दौरान व्रत रखते हैं, ध्यान और योग करते हैं ताकि शरीर और मन दोनों की शुद्धि हो सके।
नौतपा एक ऐसा समय है जो सिर्फ गर्मी का संकेत नहीं देता, बल्कि यह प्रकृति, स्वास्थ्य और कृषि के बीच संतुलन बनाने का एक महत्वपूर्ण चरण है। अगर हम इन नौ दिनों में सावधानीपूर्वक जीवनशैली अपनाएं, तो हम स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बच सकते हैं और मानसून का स्वागत सही तरीके से कर सकते हैं।
बिलकुल, इस खबर को आप राज्यवार और जिलेवार प्रभाव के साथ और भी विस्तृत बना सकते हैं, जिससे पाठकों को यह जानकारी मिल सके कि नौतपा के दौरान उनके क्षेत्र में मौसम का क्या असर होगा, खेती-बाड़ी और स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव कैसा रहेगा, और प्रशासन की क्या तैयारियां हैं। नीचे राज्य और जिलेवार विस्तार का एक उदाहरण प्रारूप दिया गया है:
राज्यवार और जिलेवार प्रभाव सहित नौतपा पर विशेष रिपोर्ट
✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
राजस्थान: तपती धरती, उम्मीदों की बारिश
- जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर:
नौतपा के दौरान तापमान 46 से 48 डिग्री तक पहुंच सकता है। इन जिलों में लू का खतरा अधिक रहता है।
कृषि पर असर: बाजरा, मूंग और मोठ की बुआई का अनुमान मानसून पर निर्भर करेगा।
जनता को सलाह: दोपहर 12 से 4 बजे तक बाहर निकलने से बचें। - पाली, अजमेर, नागौर:
गर्म हवाएं और सूखा वातावरण बना रहेगा। पाली और रानी में अधिकतम तापमान 45 डिग्री के आसपास रहने की संभावना।
स्वास्थ्य प्रभाव: बुजुर्ग और बच्चों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता।
तैयारी: जिला प्रशासन ने गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाने की योजना बनाई है। - उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद:
पर्वतीय इलाकों में दिन में तेज गर्मी और रात में हल्की राहत मिलेगी।
कृषि पर असर: खेतों की जुताई का काम नौतपा के बाद तेज़ी से शुरू होगा।
लोक परंपरा: इन इलाकों में महिलाएं पेड़-पौधों की पूजा कर मानसून की कामना करती हैं। - जयपुर, अलवर, भरतपुर:
गर्मी चरम पर होगी। जयपुर में नौतपा के दौरान बिजली कटौती की संभावना बनी रहती है।
प्रशासन की तैयारी: नगर निगम ने वाटर टैंकर और मोबाइल एंबुलेंस की व्यवस्था की है।
मध्यप्रदेश: गर्मी के बीच मानसून की आस
- ग्वालियर, मुरैना, भिंड:
ये क्षेत्र लू की चपेट में रहेंगे। तापमान 47 डिग्री तक जा सकता है।
कृषि सलाह: किसानों को अभी बोवनी न करने की सलाह दी गई है।
स्वास्थ्य: लू से बचाव के लिए ORS, छाछ, और प्याज साथ रखने की परंपरा है। - भोपाल, इंदौर, उज्जैन:
अपेक्षाकृत थोड़ी राहत रहेगी। कुछ शामों को आंधी के साथ बूंदाबांदी हो सकती है।
उत्तर प्रदेश: बिजली कटौती और गर्म हवाएं बड़ी समस्या
- कानपुर, प्रयागराज, झांसी:
यहां तापमान 46-48 डिग्री के बीच रहेगा।
जनजीवन पर असर: स्कूलों के समय में बदलाव हो सकता है।
प्रशासन: चिकित्सा विभाग ने गर्मी से संबंधित बीमारियों के इलाज की एडवाइजरी जारी की है।
हरियाणा और पंजाब: खेत सूखे, नजरें बादलों पर
- खेतों में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल पर निर्भरता बढ़ गई है।
- किसान मानसून को लेकर चिंता में हैं।
- गर्मी से राहत के लिए ग्रामीण इलाकों में कच्चे घरों की छतों पर पानी डाला जा रहा है।
विशेष रिपोर्ट – क्या कहती है मौसम विभाग की चेतावनी?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, नौतपा के पहले 4 दिन सबसे अधिक गर्मी देने वाले रहेंगे।
- उत्तर-पश्चिम भारत में 45 डिग्री से ऊपर तापमान के साथ हीटवेव की स्थिति बनी रहेगी।
- राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली NCR क्षेत्र में रेड अलर्ट जारी किया गया है।
- 1 जून के बाद आंधी और प्री-मानसून वर्षा की संभावना जताई गई है।
नौतपा पर आम जनता और सरकार की भूमिका
- सरकारी योजनाएं: जलदाय विभाग ने शहरों में टैंकरों की संख्या बढ़ाई है।
- स्वास्थ्य विभाग: शीतल पेय, ORS वितरण और अस्पतालों में गर्मी से राहत केंद्र बनाए गए हैं।
- NGO और समाजसेवी संगठनों ने सार्वजनिक स्थलों पर प्याऊ (जल सेवा) शुरू की है।
नौतपा केवल तपन का नाम नहीं है, यह प्रकृति, मानव, कृषि और मौसम के बीच एक अद्भुत संतुलन की प्रक्रिया है। अगर हम इससे जुड़ी सावधानियों को अपनाएं, तो यह समय हमारे लिए वरदान बन सकता है।