✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सोजत (राजस्थान), 6 जून:
देशभर में मेहंदी की पहचान बन चुका सोजत एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार किसानों की परेशानी को लेकर। सोजत की कच्ची उपज मंडी में इस बार मेहंदी के भाव ₹3000 से लेकर ₹6500 प्रति मन तक पहुंच गए हैं। हालांकि औसतन अच्छी क्वालिटी का माल ₹5900 तक बिक रहा है, लेकिन इसके बावजूद किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
इस बार मेहंदी की पैदावार में भारी कमी देखने को मिली है। गांवों में मेहंदी की कमी के चलते स्थानीय स्तर पर तेजी का माहौल बना हुआ है। इसके बावजूद सोजत मंडी में व्यापारी केवल हल्की क्वालिटी का माल ही खरीद रहे हैं। वहीं अच्छी क्वालिटी की मेहंदी को व्यापारी नजरअंदाज कर रहे हैं। इससे किसानों में निराशा है।
किसानों का कहना है कि अच्छी मेहनत और लागत के बावजूद उन्हें उनके उत्पाद का सही दाम नहीं मिल रहा है। मंडी में व्यापारी जानबूझकर केवल सस्ती और कम क्वालिटी की मेहंदी पर फोकस कर रहे हैं, जिससे बाजार में रेट ऊपर नहीं जा पा रहे हैं। इससे उन किसानों को भारी घाटा हो रहा है, जिन्होंने उच्च क्वालिटी की मेहंदी तैयार की थी।
फसल में गिरावट, फिर भी मंदी:
कई किसानों का कहना है कि इस बार बारिश की कमी और कीट प्रकोप के चलते मेहंदी की फसल कम हुई है। जहां एक ओर मांग बनी हुई है, वहीं मंडियों में व्यापारियों द्वारा कीमतें जानबूझकर नीचे रखने की कोशिश की जा रही है।
व्यापारी भी संभल कर कर रहे हैं खरीदारी:
मंडी के कई व्यापारियों का कहना है कि बाजार में मांग जरूर है, लेकिन मेहंदी के निर्यात पर अनिश्चितता के चलते वे बड़े स्तर पर महंगा माल नहीं खरीदना चाह रहे हैं। इसके अलावा हल्के माल की ग्राइंडिंग और पाउडर फॉर्म में प्रोसेसिंग सस्ती पड़ती है, इसलिए उसकी अधिक खरीद हो रही है।
किसानों की मांग:
किसानों ने सरकार और कृषि मंडी प्रशासन से मांग की है कि मेहंदी की सरकारी समर्थन मूल्य की व्यवस्था की जाए या कम से कम क्वालिटी बेस्ड मूल्य निर्धारण किया जाए ताकि अच्छी फसल के किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम मिल सके।
मेहंदी उत्पादक क्षेत्र सोजत में इस बार फसल की कमी और बाजार की सुस्ती के बीच किसान दोहरी मार झेल रहे हैं। यदि जल्द ही मंडी में पारदर्शी और गुणवत्ता आधारित खरीद प्रणाली लागू नहीं की गई, तो आने वाले समय में किसान मेहंदी की खेती से किनारा भी कर सकते हैं, जिसका सीधा असर सोजत की अर्थव्यवस्था और वैश्विक पहचान पर पड़ेगा।