✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा



सोजत (पाली), 12 जून 2025
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विभाग एवं कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” तथा “वंदे गंगा जल संरक्षण – हरियालो राजस्थान” अभियान के अंतर्गत गांव बिलावास (सोजत) में आज एक महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती, मृदा स्वास्थ्य व उन्नत तकनीकों से अवगत कराना रहा।
🌱 जल संरक्षण के उपायों पर दी गई जानकारी
कार्यक्रम के दौरान श्री शंकर लाल सोलंकी, सहायक निदेशक (कृषि विस्तार) ने किसानों को खेतों में तलाई निर्माण, पाइप लाइन से जल प्रबंधन व जल संचयन के आधुनिक उपायों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और छोटे स्तर पर भी किसान अपने खेतों में जल संचयन कर कृषि उत्पादन में सुधार ला सकते हैं।
🧪 मृदा स्वास्थ्य व पोषक तत्व प्रबंधन पर विशेषज्ञों की राय
काजरी पाली के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. चन्दन कुमार ने उन्नत तकनीकी खेती, कीटनाशकों के उचित व संतुलित उपयोग और फसल सुरक्षा के उपायों पर प्रकाश डाला।
वहीं मृदा वैज्ञानिक डॉ. कमला चौधरी ने खारे पानी में उगाई जा सकने वाली फसलों की जानकारी दी और उर्वरक प्रबंधन को लेकर उपयोगी सुझाव साझा किए।
🚜 बैल से खेती व आधुनिक सिंचाई प्रणाली पर जानकारी
कृषि अधिकारी डॉ. रामलाल कुमावत ने परंपरागत बैल से खेती के फायदों को बताया और उसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपनाने पर बल दिया।
सहायक कृषि अधिकारी (उद्यान) श्री दिलीप सिंह लखावत ने ड्रिप व फव्वारा सिंचाई प्रणाली के उपयोग को जल बचत का प्रभावी उपाय बताया। उन्होंने किसानों को कम पानी में अधिक उत्पादन के तरीकों से अवगत कराया।
🤝 ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी
इस अवसर पर कृषि पर्यवेक्षक राजश्री, सीमा कुड़ी, पिंकी, वार्ड पंच हेमाराम, तारा राम, कनिष्ठ सहायक ज्योति सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।
सभी ने कार्यक्रम को ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताया तथा जल संरक्षण एवं प्राकृतिक खेती को अपनाने की शपथ ली।
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इस कार्यक्रम ने न केवल किसानों को वैज्ञानिक खेती के आधुनिक तरीकों से जोड़ा, बल्कि जल संरक्षण जैसे गंभीर मुद्दे पर उन्हें जागरूक भी किया। इस तरह के प्रयास ग्रामीण भारत में टिकाऊ कृषि विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।