✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
नई दिल्ली | 15 जून 2025
सुप्रीम कोर्ट ने अचल संपत्ति (भूमि और मकान) से जुड़े एक बेहद अहम मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो न केवल देशभर के प्रॉपर्टी डीलरों, बिचौलियों और निवेशकों के लिए चेतावनी है, बल्कि आम जनता को कानूनी जानकारी देने वाला एक मील का पत्थर भी साबित होगा।
⚖️ सिर्फ कब्जा लेने से नहीं मिल सकता मालिकाना हक: सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट कर दिया कि:
“कोई व्यक्ति केवल प्रॉपर्टी का कब्जा लेकर या पैसे देकर उसका मालिक नहीं बन सकता, जब तक कि बिक्री की रजिस्ट्री (Registered Sale Deed) न हो जाए।”
कोर्ट ने यह टिप्पणी एक ऐसे मामले में की जिसमें एक व्यक्ति ने नीलामी में संपत्ति खरीदी थी लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस व्यक्ति के पक्ष में फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि रजिस्टर्ड सेल डीड ही असली मालिकाना हक का आधार है।
📜 कानून का स्पष्ट प्रावधान: ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 की धारा 54
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 की धारा 54 का हवाला देते हुए कहा:
- यदि किसी अचल संपत्ति की कीमत ₹100 या उससे अधिक है,
- तो उसका स्वामित्व केवल और केवल रजिस्टर्ड सेल डीड के ज़रिए ही किसी अन्य को हस्तांतरित किया जा सकता है।
- कोई व्यक्ति चाहे संपत्ति की पूरी कीमत चुका दे और भौतिक कब्जा भी ले ले,
- फिर भी वह तब तक कानूनी मालिक नहीं माना जाएगा जब तक बिक्री का दस्तावेज रजिस्टर्ड न हो।
🚫 पावर ऑफ अटॉर्नी और वसीयत से मालिकाना हक नहीं मिलेगा
कोर्ट के फैसले में यह भी कहा गया है कि:
“अब प्रॉपर्टी डीलर या बिचौलिये सिर्फ पावर ऑफ अटॉर्नी या वसीयत (Will) के जरिए संपत्ति का स्वामित्व नहीं पा सकेंगे।”
इसका मतलब यह है कि लंबे समय से जो प्रॉपर्टी का गैर-कानूनी लेनदेन चल रहा था — जिसमें केवल कब्जा, नकद लेनदेन, या पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर संपत्तियां बेची और खरीदी जाती थीं — वह सब अब कानूनन अमान्य माना जाएगा।
🏠 आम लोगों के लिए जरूरी सावधानी — रजिस्ट्री ही है सुरक्षा की गारंटी
यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए चेतावनी है जो बिना रजिस्ट्री के सिर्फ कब्जा लेकर प्रॉपर्टी खरीदते या बेचते हैं। ऐसा करना न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि भविष्य में विवाद, धोखाधड़ी और संपत्ति गंवाने का बड़ा कारण बन सकता है।
अब अगर आपने कोई जमीन या मकान खरीदा है — और उसकी रजिस्ट्री नहीं करवाई — तो आप उस पर दावा नहीं कर सकेंगे।
⚖️ फैसले का असर: बिचौलियों पर नकेल, खरीदारों को राहत
- इस फैसले से प्रॉपर्टी बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- फर्जी दस्तावेजों, डुप्लीकेट सेल एग्रीमेंट, और कब्जा आधारित सौदों पर कानूनी लगाम लगेगी।
- प्रॉपर्टी डीलर और बिचौलियों को झटका लगेगा, जो वर्षों से पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए खरीद-बिक्री करते आ रहे थे।
- आम नागरिकों को अब यह समझना होगा कि बिक्री की रजिस्ट्री ही असली मालिकाना दस्तावेज है।
📢 कानूनी जानकारों की राय: यह फैसला देश की संपत्ति व्यवस्था को करेगा व्यवस्थित
वरिष्ठ अधिवक्ता आर.के. माथुर का कहना है:
“यह फैसला हर उस व्यक्ति के लिए चेतावनी है जो shortcuts लेकर संपत्ति खरीदने की सोचता है। अब कानून के दायरे में आकर ही संपत्ति का स्वामित्व सुनिश्चित होगा।”
📌 क्या करना चाहिए?
- प्रॉपर्टी खरीदने से पहले रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी करें।
- केवल एग्रीमेंट टू सेल या कब्जा पत्र पर भरोसा न करें।
- किसी भी संपत्ति की खरीद-बिक्री के लिए वकील और रजिस्ट्री ऑफिस की सलाह लें।
- अगर रजिस्ट्री नहीं हुई है, तो उस संपत्ति पर कानूनी अधिकार नहीं माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संपत्ति के बाजार में पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ावा देगा। अब प्रॉपर्टी का मालिक वही होगा जिसके पास रजिस्टर्ड सेल डीड होगी — कब्जा, पैसे का भुगतान या मौखिक समझौता अब पर्याप्त नहीं हैं।