वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

पाली ज़िले के सोजत शहर में स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर आमजन में नाराज़गी साफ़ दिखाई देने लगी है। गुरुवार को सोजत के नागरिकों ने तहसीलदार दिलीप सिंह को ज्ञापन सौंपते हुए स्मार्ट मीटर नहीं लगाने की मांग की। ज्ञापन में बताया गया कि स्मार्ट मीटरों से बिजली की खपत 10 से 20 प्रतिशत तक अधिक दर्ज होती है, जिससे आमजन का बिजली बिल अनावश्यक रूप से बढ़ जाता है।
जनता ने जताई आशंका, बढ़ेगा आर्थिक बोझ
स्मार्ट मीटरों को लेकर जनता का कहना है कि इन मीटरों के इंस्टॉल होते ही बिजली की खपत में कृत्रिम रूप से बढ़ोतरी दर्ज होती है, जिससे हर महीने का बिल आम आदमी की पहुंच से बाहर हो सकता है। ऐसे में लोगों ने चेतावनी दी कि यदि स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो वे और बड़ा आंदोलन करेंगे।
पार्षदों और नागरिकों ने किया विरोध
इस विरोध प्रदर्शन और ज्ञापन देने में कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों और गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।
प्रमुख रूप से पार्षद बालमुकुंद गहलोत, सत्यनारायण टांक, गौतम तंवर, भवानी सिंह, ललित, रामचंद्र गहलोत, विकास, अर्जुन, सीता बाई, भावना, लक्ष्मी सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
उन्होंने कहा कि सरकार और बिजली विभाग को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि स्मार्ट मीटर से जुड़ी तकनीक कितनी पारदर्शी और लाभकारी है। जब तक इस पर पूरी पारदर्शिता और जनता की सहमति नहीं बनती, तब तक स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य नहीं किया जाए।
प्रशासन के सामने रखी मांग
तहसीलदार दिलीप सिंह को सौंपे गए ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो सोजत शहर के नागरिक चरणबद्ध आंदोलन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि बिजली विभाग को पारंपरिक मीटरों की तरह ही जांच और संतुलन की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि उपभोक्ता को गलत बिलिंग का शिकार न होना पड़े।
जनता का संदेश साफ:
बिना संवाद और तकनीकी पारदर्शिता के स्मार्ट मीटर नहीं स्वीकार
सोजत में उपजा यह विरोध साफ़ संकेत दे रहा है कि नई तकनीकों को लागू करने से पहले आमजन को भरोसे में लेना और उनके साथ संवाद करना बेहद जरूरी है। आने वाले दिनों में यह विरोध और भी व्यापक रूप ले सकता है अगर प्रशासन ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई।