अध्यापक पात्रता परीक्षा ( TET ) कि अनिवार्यता समाप्त करने की मांग

वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही की रिपोर्ट
पाली। अध्यापक पात्रता परीक्षा ( TET ) कि अनिवार्यता समाप्त करने की मांग पर शिक्षकों का हल्ला बोल, पाली में सौंपा प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन
राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के प्रदेशव्यापी आह्वान के तहत सोमवार को पाली जिला मुख्यालय पर संगठन की जिला व उप-शाखाओं की कार्यकारिणी सदस्यों ने प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपा।
जिला मंत्री ओमप्रकाश कुमावत ने बताया कि ज्ञापन जिला अध्यक्ष डॉ. विक्रम सिंह जैतावत के नेतृत्व में सौंपा गया। इस ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य तृतीय श्रेणी अध्यापकों के लिए TET परीक्षा की बाध्यता समाप्त करना है।
उन्होंने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है क्योंकि प्रदेश में लगभग एक लाख शिक्षकों की नौकरी खतरे में है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा 1 सितम्बर 2025 को दिए गए निर्णय के अनुसार सेवारत शिक्षकों के लिए सेवा निरंतर करने हेतु TET परीक्षा अनिवार्य कर दी गई है, जिससे देशभर के लगभग 20 लाख शिक्षकों की सेवा समाप्त होने का संकट उत्पन्न हो गया है।
जिला मंत्री ने स्पष्ट किया कि 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को TET से मुक्त रखा गया था, जबकि 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों के लिए यह परीक्षा अनिवार्य की गई थी। लेकिन इस नये निर्णय से दोनों श्रेणियों के बीच का अंतर समाप्त हो गया है, जो न केवल शिक्षकों के लिए बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र और विद्यार्थियों के भविष्य के लिए भी हानिकारक है।
ज्ञापन में प्रमुख मांगे इस प्रकार रखी गईं –
1.यह निर्णय केवल भावी (Prospective) रूप से लागू किया जाए, 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर लागू न किया जाए 2. सेवारत शिक्षकों को सेवा सुरक्षा प्रदान कर उन्हें इस निर्णय से मुक्त किया जाए 3. वर्षों से शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने वाले शिक्षकों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा की जाए।
ओमप्रकाश कुमावत ने कहां कि लोकतंत्र में संख्या बल और विरोध की शक्ति से ही निर्णय बदले जा सकते हैं। इसलिए सभी शिक्षकों को अधिक से अधिक संख्या में एकजुट होकर भागीदारी निभानी होगी, जिससे शिक्षक हितों की रक्षा हो सके।
इस अवसर पर जिला अध्यक्ष डॉ. विक्रम सिंह जैतावत, जिला ओमप्रकाश कुमावत, दिलीप सिंह जैतावत, महिला मंत्री बबिता जोगावत, अल्लारक खां पठान जिला उपाध्यक्ष माशि,ब्लांक अध्यक्ष ओमप्रकाश सोलंकी सोजत, शैषाराम बारूपाल मारवाड़ जंक्शन,विक्रम मीणा देसूरी,नरेश सैन पाली, तेज सिंह सोडा, महिला उपाध्यक्ष कुसुम गोस्वामी, भगवान सिंह, शंकर दास वैष्णव, सचिव महेन्द्र सिंह जैतावत, कुंदन सिंह, भारत सिंह, अजयपाल सिंह, दुर्ग सिंह, उर्मिला यति, महेन्द्र सिंह महेचा, मुकेश, जांगिड़, लक्ष्मण सिंह, धनाराम शर्मा, भूराराम, मांगीलाल सोलंकी,भीमाराम, सुनील,भीखाराम, माधोसिंह, भंवरसिंह, दिनेश मीणा , रामनिवास यादव,सहित बड़ी संख्या में शिक्षक उपस्थित रहे।
सभा में मौजूद सभी पदाधिकारियों और शिक्षकों ने एक स्वर में निर्णय वापस लेने तक संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया और कहां कि यह आंदोलन शिक्षक हितों और देश की शिक्षा व्यवस्था की रक्षा के लिए ।