वार्ताकार: चेतन व्यास, सचिव – सोजत महोत्सव समिति
स्थान: होटल हाईवे हॉल्ट, सोजत सिटी
प्रश्न 1:चेतन व्यास
शर्मा जी, आपकी कविताओं का विषय समय के साथ कैसे बदला?
सुरेंद्र शर्मा👉 पहले मेरी कविताओं का मुख्य विषय पत्नी हुआ करती थी। लोगों ने मुझे “सुरेंद्र शर्मा पत्नी धर्मा” तक कह दिया था। लेकिन अब मेरी कविताओं का विषय संयुक्त परिवार है। परिवार टूटने से असली समस्याएं पैदा हो रही हैं। घर की दीवारों में दरारें समस्या नहीं है, बल्कि घर के रिश्तों में दरारें समस्या हैं।
प्रश्न 2:चेतन व्यास
आज के युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
सुरेंद्र शर्मा👉 कभी यह मत कहना कि “पिता मेरे साथ रहते हैं”, हमेशा यह कहना कि “मैं पिता के पास रहता हूं।” असली सुख वही है, जब बेटे-बेटियाँ अपने माता–पिता के साथ बैठकर शाम का खाना खाएँ, न कि विदेश में अकेले रहकर।
प्रश्न 3:चेतन व्यास
“ऑपरेशन सिंदुर” और राष्ट्रीय सुरक्षा पर आपके विचार?
सुरेंद्र शर्मा👉 जब कारगिल हुआ, तब हमारी सुरक्षा चौकस क्यों नहीं थी? पुलवामा भी हो गया। अगर उसी समय “ईंट का जवाब पत्थर से” दिया जाता, तो आज “ऑपरेशन सिंदुर” की जरूरत ही नहीं पड़ती।
प्रश्न 4:चेतन व्यास
विश्व परिदृश्य में भारत की वर्तमान स्थिति आप कैसे देखते हैं?
सुरेंद्र शर्मा👉 हम अपने आप को “विश्व गुरु” कहकर दिल बहला रहे हैं। असलियत यह है कि जब तक हमारा चाल और चरित्र नहीं बदलता, तब तक विषमताओं की खाई बनी रहेगी।
प्रश्न 5:चेतन व्यास
आपकी कविताओं में सभी धर्मों का समावेश देखने को मिलता है, इस पर क्या कहेंगे?
सुरेंद्र शर्मा👉 हाँ, मैं शायद एकमात्र राष्ट्रीय कवि हूँ जिसकी कविताओं में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई – सबका महत्व है। यही भारत की असली ताकत है।
प्रश्न 6:चेतन व्यास
सोजत महोत्सव और यहां की जनता के बारे में आपका अनुभव?
सुरेंद्र शर्मा👉 इस तरह के आयोजन रचनात्मक प्रवृत्तियों को बढ़ावा देते हैं और संस्कृति का संवर्धन करते हैं। 24 वर्ष पहले जब मैं सोजत आया था, तब यहाँ की जनता ने मुझे अपार प्यार दिया। आज भी वही अपनापन महसूस हो रहा है। आगे मैं आ पाऊँ या नहीं, पता नहीं, लेकिन सोजत महोत्सव की मधुर स्मृतियाँ और जनता का स्नेह मैं अपने साथ ले जा रहा हूँ।
निष्कर्ष:
पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा की इस वार्ता से साफ झलकता है कि उनकी कविताओं का हास्य रस सिर्फ हँसी तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज, परिवार और राष्ट्र के गहरे संदेश भी समेटे हुए है।