
बूंदी। राजस्थान के बूंदी जिले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के फील्ड ऑफिसर ललित कुमार पाराशर को 20,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। यह घटना गुरुवार को सामने आई, जब एसीबी ने योजनाबद्ध तरीके से कार्रवाई की और अधिकारी को रिश्वत लेते हुए दबोच लिया।
कैसे हुआ खुलासा
मामले का खुलासा तब हुआ जब एक शिकायतकर्ता ने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई कि फील्ड ऑफिसर ललित कुमार पाराशर उससे ऋण स्वीकृति के लिए रिश्वत की मांग कर रहा है। एसीबी के अधिकारियों ने शिकायत की पुष्टि के बाद जाल बिछाया और फील्ड ऑफिसर को रिश्वत की रकम लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।
क्या है आरोप
शिकायत के अनुसार, ललित कुमार पाराशर पर आरोप है कि वह बैंक में ऋण स्वीकृति और दस्तावेजों की मंजूरी के एवज में 20,000 रुपये की रिश्वत मांग रहा था। एसीबी की टीम ने पूरी योजना के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया और रिश्वत की रकम बरामद कर ली। अधिकारी को गिरफ्त में लेकर एसीबी टीम ने उनसे आगे की पूछताछ शुरू कर दी है।
एसीबी के अधिकारी का बयान
एसीबी के बूंदी कार्यालय के अधिकारी ने बताया कि शिकायत मिलने पर मामले की प्राथमिक जांच की गई थी, जिसमें आरोप सही पाए गए। इसके बाद योजना बनाकर कार्रवाई की गई और फील्ड ऑफिसर को रिश्वत की रकम लेते हुए गिरफ्तार कर लिया गया। एसीबी के अनुसार, मामले में जांच जारी है और अन्य जुड़े व्यक्तियों के बारे में भी पता लगाया जा रहा है।
बैंक की छवि पर असर
यह घटना स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इसमें उसके फील्ड ऑफिसर के भ्रष्टाचार में लिप्त होने का मामला सामने आया है। आम जनता में इस घटना के बाद बैंक अधिकारियों पर से भरोसा कमजोर होता दिखाई दे रहा है। बैंक प्रशासन द्वारा भी इस मामले पर कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
रिश्वतखोरी के मामलों में लगातार हो रही बढ़ोतरी
राजस्थान में रिश्वतखोरी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे में एसीबी की सक्रियता बढ़ गई है, और इस तरह की कार्रवाई आम जनता में भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने में सहायक साबित हो रही है। एसीबी के अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी की जानकारी मिलने पर तुरंत एसीबी को सूचित करें।
बूंदी में एसीबी की इस कार्रवाई से जहां एक ओर भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश गया है, वहीं दूसरी ओर आम जनता के बीच बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता की उम्मीद जगी है। एसीबी की सक्रियता ने यह साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।