
जयपुर। राजस्थान में एसआई भर्ती परीक्षा-2021 में पेपर लीक मामले में लंबे समय से फरार चल रही विमला विश्नोई को एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने शनिवार शाम गिरफ्तार कर लिया। विमला ने अपने पति गोपीराम को सब-इंस्पेक्टर (SI) बनाने के लिए गिरोह के सरगना जगदीश विश्नोई से पेपर खरीदा था। जगदीश ने रिमांड के दौरान खुलासा किया था कि उसने लीक पेपर विमला को दिया था।
जेल में पति को लेने आई, वहीं पकड़ी गई
एसओजी ने बताया कि शुक्रवार को विमला के पति गोपीराम को हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। शनिवार को विमला जयपुर सेंट्रल जेल में अपने पति को लेने पहुंची। इसी दौरान एसओजी को उसकी लोकेशन की सूचना मिली और टीम ने जेल परिसर से ही विमला को गिरफ्तार कर लिया।
एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने कहा, “विमला विश्नोई, जो सांचौर में आंगनबाड़ी महिला सुपरवाइजर के पद पर तैनात थी, लंबे समय से फरार थी। पति गोपीराम को एसआई बनाने के लिए उसने लीक पेपर पढ़वाया था।”
गोपीराम, जो जयपुर के आरपीए (राजस्थान पुलिस अकादमी) में ट्रेनिंग कर रहा था, को पहले ही एसओजी गिरफ्तार कर चुकी है। अब विमला की गिरफ्तारी से मामले में एक और महत्वपूर्ण कड़ी सामने आई है।
गिरोह का नेटवर्क और पेपर लीक का खेल
पेपर लीक मामले का मुख्य सरगना जगदीश विश्नोई है, जिसने कई अभ्यर्थियों और उनके परिजनों को लाखों रुपए लेकर लीक पेपर उपलब्ध कराया। विमला और उसके पति भी इसी गिरोह के संपर्क में आए थे।
इसके अलावा, एसओजी ने एक और आरोपी लोकेश शर्मा को गिरफ्तार किया है। लोकेश, जो दौसा के महात्मा गांधी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में अध्यापक है, ने एसआई भर्ती के लीक पेपर सॉल्व कराने के लिए एक्सपर्ट्स की मदद ली और अभ्यर्थियों के परिवारों को मोटी रकम में पेपर बेचा।
विमला की गिरफ्तारी क्यों अहम है?
पेपर लीक मामले में विमला विश्नोई की गिरफ्तारी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह इस गड़बड़झाले की मुख्य कड़ी मानी जा रही थी। वह लंबे समय से फरार थी और एसओजी के रडार पर थी। पति की गिरफ्तारी के बाद से वह अज्ञात स्थानों पर छिपी हुई थी।
एसओजी का बड़ा ऑपरेशन
एसओजी ने पेपर लीक गिरोह के खिलाफ अब तक कई बड़े ऑपरेशन किए हैं। एसआई भर्ती परीक्षा में लीक पेपर से जुड़े कई अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। एडीजी वीके सिंह ने कहा कि इस मामले की गहन जांच जारी है और इसमें शामिल अन्य आरोपियों को भी जल्द पकड़ा जाएगा।
घोटाले से युवाओं के सपनों पर चोट
एसआई भर्ती परीक्षा का यह घोटाला न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि उन हजारों अभ्यर्थियों के सपनों को भी तोड़ता है जो ईमानदारी से मेहनत कर रहे हैं। इस तरह के कृत्य प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता और भरोसे को चोट पहुंचाते हैं।
(रिपोर्ट: वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा)