वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
जयपुर। आज, 15 दिसंबर 2024 से मलमास (जिसे खरमास भी कहा जाता है) शुरू हो गया है, जो 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति तक चलेगा। इस दौरान सभी प्रकार के शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मलमास का समय भगवान सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने से शुरू होता है। इसे अशुभ समय के रूप में देखा जाता है, जिसमें विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नामकरण और सगाई जैसे मंगल कार्य नहीं किए जाते।
क्या है मलमास का महत्व?
मलमास को धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान विष्णु विश्राम अवस्था में होते हैं और कोई भी शुभ कार्य उनके आशीर्वाद के बिना अधूरा माना जाता है। इसके साथ ही, यह समय साधना, दान-पुण्य, और आत्मशुद्धि के लिए उत्तम माना गया है।
मलमास के दौरान क्या करें?
इस अवधि में धर्मग्रंथों का अध्ययन करें।
पूजा-पाठ, हवन और भगवान विष्णु की आराधना करें।
गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें।
किसी भी विवादित और अशुभ कार्यों से बचें।
क्या न करें?
विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, और सगाई जैसे शुभ कार्य टाल दें।
संपत्ति की खरीद-फरोख्त और नए व्यापार की शुरुआत से बचें।
मांगलिक कार्यों की योजना बनाने के लिए मकर संक्रांति के बाद का समय चुनें।
आधुनिक दृष्टिकोण
हालांकि, धार्मिक परंपराएं लोगों की आस्था से जुड़ी हैं, फिर भी कुछ लोग इस समय को सामान्य मानते हुए अपने कार्य करते हैं। लेकिन जो लोग धार्मिक मान्यताओं का पालन करते हैं, उनके लिए यह समय संयम और पूजा का होता है।
मकर संक्रांति से शुरू होंगे शुभ कार्य
मलमास की समाप्ति के बाद 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत होगी। इस दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे बेहद शुभ माना जाता है।