✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
हिंदू धर्म में विभिन्न व्रत और उपवासों का विशेष महत्व होता है, जो न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करते हैं बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य भी लाते हैं। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण व्रत है दशा माता व्रत, जिसे करने से व्यक्ति की खराब चल रही दशा में सुधार होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इस व्रत को विशेष रूप से महिलाएं करती हैं ताकि उनके परिवार पर किसी भी तरह की विपत्ति न आए और घर में सुख-शांति बनी रहे। आइए विस्तार से जानते हैं दशा माता व्रत का महत्व, पूजा विधि और इसके चमत्कारी लाभ।
कौन होती हैं दशा माता?
दशा माता को देवी लक्ष्मी का ही एक रूप माना जाता है, जो भक्तों की ग्रह दशा सुधारने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाली देवी हैं। दशा माता की पूजा करने से शनि, राहु और केतु जैसे अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
दशा माता व्रत का महत्व
- ग्रहों की शांति: जिन लोगों की कुंडली में अशुभ ग्रहों की दशा चल रही होती है, उन्हें यह व्रत करना चाहिए।
- सौभाग्य और समृद्धि: यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है, जिससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- कर्ज से मुक्ति: इस व्रत को करने से कर्ज से जल्दी छुटकारा मिलता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
- रोगों से मुक्ति: दशा माता का व्रत करने से गंभीर बीमारियों से छुटकारा मिलता है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
- परिवार की रक्षा: यह व्रत करने से घर में किसी भी प्रकार की अनहोनी नहीं होती और परिवार की रक्षा होती है।
दशा माता व्रत करने की विधि
- व्रत का दिन: दशा माता व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन और चैत्र मास में गुरुवार को किया जाता है।
- स्नान और संकल्प: प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- दशा माता की पूजा: घर के मंदिर में दशा माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और हल्दी, चंदन, अक्षत, फूल और नारियल चढ़ाएं।
- व्रत कथा का पाठ: दशा माता की कथा का पाठ करें, जिसमें उनकी महिमा और व्रत का महत्व बताया गया है।
- पीपल की पूजा: पीपल के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इसमें कच्चा दूध, जल और हल्दी चढ़ाकर सात परिक्रमा करें।
- भोग और प्रसाद: पूजा के बाद बेसन या चने की दाल से बने व्यंजन का भोग लगाएं और प्रसाद बांटें।
- दान करना: जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा दान करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
दशा माता व्रत के विशेष नियम
- व्रत के दिन नमक और तेल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक आहार ग्रहण करें।
- किसी भी प्रकार की बुरी संगति से दूर रहें और दिनभर माता का स्मरण करें।
दशा माता व्रत करने के लाभ
✅ ग्रहों की दशा में सुधार
✅ अशुभ योग समाप्त होते हैं
✅ कर्ज और आर्थिक परेशानियों से छुटकारा
✅ स्वास्थ्य में सुधार और बीमारियों से राहत
✅ संतान सुख की प्राप्ति
✅ परिवार में सुख-शांति और सौभाग्य की वृद्धि
दशा माता व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका सीधा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। यह व्रत करने से ग्रहों की दशा सुधरती है, कर्ज से मुक्ति मिलती है और जीवन में सौभाग्य बढ़ता है। इसलिए यदि आप भी जीवन में किसी कठिनाई से गुजर रहे हैं या ग्रह दशा ठीक नहीं चल रही है, तो दशा माता व्रत अवश्य करें। इससे आपकी सभी परेशानियाँ दूर होंगी और घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
(यह लेख धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित है, इसे केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी व्रत को करने से पहले योग्य विद्वान या ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें।)