✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
6 अप्रैल, रविवार को चैत्र शुक्ल नवमी यानी रामनवमी के दिन चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन होगा, और इसी दिन देवी दुर्गा के पूजन के प्रतीकात्मक कलश का विसर्जन किया जाएगा। यह दिन केवल धार्मिक रूप से नहीं बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार नवमी तिथि को कलश विसर्जन करना अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन भक्तजन मां दुर्गा की पूजा के उपरांत कन्या पूजन कर कलश विसर्जन की विधि को संपन्न करते हैं। यह क्रिया न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि इसके पीछे गहरी आध्यात्मिक ऊर्जा और घर में सुख-समृद्धि लाने वाली शक्ति भी समाहित होती है।
कलश विसर्जन का समय और महत्व
नवमी तिथि यानी 6 अप्रैल को दोपहर बाद और सूर्यास्त से पूर्व तक कलश विसर्जन करना शुभ रहेगा। इस दिन देवी की विशेष पूजा अर्चना, हवन, और कन्या पूजन के बाद कलश विसर्जन किया जाता है, जिससे पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
कलश विसर्जन की विधिपूर्वक प्रक्रिया:
- मां दुर्गा की प्रतिमा और कलश की विधिवत पूजा करें, देवी से क्षमा याचना करें और दंडवत प्रणाम करें।
- कलश उठाने से पहले उस पर रखे नारियल को हटाएं, उस पर सिंदूर लगाकर उसकी पूजा करें।
- नारियल व चुनरी को घर की किसी बुजुर्ग महिला को सौंपें और आशीर्वाद लें।
- मां के लिए रखी गई चुनरी की साड़ी किसी सुहागन स्त्री (ननद, भुआ, भांजी) को दें या मंदिर के पंडित को समर्पित करें।
- नारियल व चुनरी को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में रखें और बाद में पवित्र नदी में प्रवाहित करें (ध्यान रहे, इस नारियल का अन्य किसी उपयोग में न लें)।
- कलश में रखे आम/अशोक के पत्ते निकालें, और कलश जल से घर के हर हिस्से में छिड़काव करें (बाथरूम में नहीं)।
- शेष जल को पेड़-पौधों में डालें और माता से समृद्धि की कामना करें।
- ज्वारों को निकालकर धन रखने वाले स्थानों पर रखें, कुछ ज्वारे अपने पर्स में भी रखें।
- बचे हुए कलश व ज्वारों को घर के बाहर किसी पेड़ के पास रख दें।
कलश विसर्जन के दौरान उच्चारित किए जाने वाले मंत्र:
कलश उठाते समय चावल बाएं हाथ में लेकर श्रद्धा से निम्न मंत्रों का जप करें:
“आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन॥”
इसके बाद
“ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
मंत्र का उच्चारण करते हुए कलश उठाएं।
धार्मिक आस्था के साथ समर्पण का क्षण
कलश विसर्जन केवल एक रस्म नहीं है, यह उस श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, जिसे श्रद्धालु नौ दिनों तक मां दुर्गा के चरणों में अर्पित करते हैं। इस प्रक्रिया से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सुख-शांति की स्थापना होती है।
रामनवमी के इस पावन अवसर पर कलश विसर्जन के साथ मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का स्वागत करें।
।। जय माता दी ।।