✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
राजनीतिक हलकों में हलचल, लोगों में मिला-जुला असर
प्रदेश में भजनलाल मंत्रिमंडल ने एक ऐतिहासिक और बड़ा फैसला लेते हुए 9 जिलों और 1 संभाग को निरस्त करने का निर्णय लिया है। यह फैसला प्रशासनिक पुनर्गठन और खर्चों में कटौती के उद्देश्य से लिया गया है।
किन जिलों और संभाग पर पड़ी गाज?
मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार, जिन 9 जिलों को निरस्त किया जाएगा, उनके नाम जल्द अधिसूचित किए जाएंगे। इसके साथ ही, एक संभाग को भी समाप्त कर उसे पड़ोसी संभाग में मर्ज कर दिया जाएगा।
फैसले के पीछे की वजह
मंत्रिमंडल ने अपने फैसले को प्रशासनिक दक्षता और बजट प्रबंधन से जोड़कर देखा है। भजनलाल ने अपने बयान में कहा,
“छोटे जिलों के निर्माण के बाद प्रशासनिक खर्च बढ़ गया है। कई जिलों में आवश्यक संसाधनों की कमी और जनसंख्या घनत्व कम होने के कारण उनके संचालन में दिक्कतें हो रही थीं। इस फैसले से बेहतर प्रशासन और विकास सुनिश्चित होगा।”
लोगों में मिला-जुला असर
इस फैसले के बाद प्रदेश में राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं।
समर्थन: फैसले का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि इससे प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी और बजट का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
विरोध: वहीं, कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिलों के निरस्त होने से उन्हें प्रशासनिक कामों के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी।
राजनीतिक विरोध
विपक्ष ने इस फैसले को जनता के साथ अन्याय बताया है। प्रमुख विपक्षी नेताओं ने सरकार पर जनता को भ्रमित करने और विकास को रोकने का आरोप लगाया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि यह फैसला वापस नहीं लिया गया, तो प्रदेशभर में आंदोलन शुरू होगा।
फैसले का संभावित प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव:
1. प्रशासनिक खर्चों में कमी आएगी।
2. कार्यों में गति और पारदर्शिता बढ़ेगी।
3. सीमावर्ती जिलों में संसाधनों का बेहतर वितरण होगा।
नकारात्मक प्रभाव:
1. जनता को नए जिलों से जुड़ी सुविधाओं में कटौती का सामना करना पड़ेगा।
2. विकास कार्य धीमे हो सकते हैं।
3. क्षेत्रीय असंतोष बढ़ सकता है।
आगे का रास्ता
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह फैसला पूरी तरह से जनहित में लिया गया है और इससे प्रदेश के विकास को नई दिशा मिलेगी। हालांकि, विपक्ष और जनता के विरोध को देखते हुए सरकार ने सुझाव और आपत्तियां दर्ज कराने की समय सीमा निर्धारित की है।