✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा


जयपुर। राजस्थान में शनिवार को भजनलाल सरकार ने बड़ा प्रशासनिक निर्णय लेते हुए अशोक गहलोत के कार्यकाल में बनाए गए 17 नए जिलों में से 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म करने का फैसला किया। यह निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जिसमें पंचायत, पंचायत समितियों और जिला परिषदों के पुनर्गठन का भी निर्णय हुआ। अब राजस्थान में कुल 41 जिले और 7 संभाग रह जाएंगे।
ये जिले और संभाग हुए खत्म
कैबिनेट ने जिन जिलों और संभागों को खत्म किया है, उनमें पाली, सीकर, और बांसवाड़ा संभाग शामिल हैं। इसके साथ ही, 9 जिले भी खत्म किए गए, जिनका प्रशासनिक ढांचा अब पुराने जिलों में समायोजित होगा।
पंचायत और जिला परिषदों का होगा पुनर्गठन
इस फैसले के साथ पंचायत और पंचायत समितियों के साथ-साथ जिला परिषदों का पुनर्गठन किया जाएगा। राज्य सरकार के मुताबिक, इस निर्णय से प्रशासनिक दक्षता में सुधार होगा और संसाधनों का सही तरीके से उपयोग किया जा सकेगा।
SI भर्ती पर फैसला टला
कैबिनेट बैठक में सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। कानून मंत्री ने बताया कि SI भर्ती का प्रकरण आज के एजेंडे में शामिल नहीं था और यह मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है। इस पर निर्णय बाद में लिया जाएगा।
राजनीतिक हलचल तेज
इस फैसले के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। विपक्षी दलों ने इसे गहलोत सरकार के फैसलों को पलटने की कार्रवाई बताते हुए आलोचना की है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह कदम प्रदेश के हित में उठाया गया है।
प्रशासनिक विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि नए जिलों को खत्म करने का फैसला स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक असंतोष पैदा कर सकता है। खासतौर पर उन क्षेत्रों में जहां विकास की प्रक्रिया नए जिलों के गठन से शुरू हुई थी।
आगे की राह
अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस फैसले को कैसे लागू करती है और जनता की प्रतिक्रिया कैसी रहती है। SI भर्ती के मसले पर कोर्ट का फैसला भी आने वाले समय में अहम होगा।
आपकी राय: गहलोत सरकार के दौरान बनाए गए जिलों को खत्म करना प्रदेश के लिए सही कदम है या नहीं? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं।