राजस्थान सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे “गिवअप अभियान” का असर अब साफ तौर पर दिखने लगा है। अभियान के तहत अब तक 7 लाख अपात्र लोगों ने योजना से अपना नाम वापस ले लिया है। इससे ऐसे लोगों को अब मुफ्त गेहूं नहीं मिलेगा। राज्य सरकार इस योजना का लाभ केवल जरूरतमंद और पात्र लोगों तक सीमित रखने के लिए सख्त कार्रवाई कर रही है।

फ्री गेहूं योजना से हटेंगे अपात्र लोग, 31 जनवरी तक का आखिरी मौका
गिवअप अभियान: क्या है सरकार का उद्देश्य?
राजस्थान सरकार ने पाया कि खाद्य सुरक्षा योजना के तहत कई ऐसे लोग लाभ ले रहे हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं और इस योजना के पात्र नहीं हैं। इनमें चौपहिया वाहनधारी, आयकरदाता और अन्य संपन्न व्यक्ति शामिल हैं।
- गिवअप अभियान का उद्देश्य:
- अपात्र व्यक्तियों को योजना से नाम हटाने के लिए प्रेरित करना।
- केवल गरीब और जरूरतमंद परिवारों को ही खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ देना।
खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने जानकारी दी कि इस अभियान की हर महीने समीक्षा की जा रही है। जिला रसद अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को योजना से नाम वापस लेने के लिए प्रेरित करें।
अब तक की प्रगति
गिवअप अभियान के तहत अब तक 7 लाख लोगों ने अपने नाम योजना से स्वेच्छा से हटवा लिए हैं।
- किनके नाम हटाए गए?
- आयकर रिटर्न भरने वाले लोग।
- जिनके पास चौपहिया वाहन हैं।
- आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति जो योजना का दुरुपयोग कर रहे थे।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अभियान के तहत हटाए गए नामों को खाद्य सुरक्षा सूची से भी पूरी तरह हटा दिया जाएगा।
31 जनवरी तक का आखिरी मौका
राजस्थान सरकार ने अपात्र लोगों को योजना से नाम हटवाने के लिए 31 जनवरी 2025 तक का समय दिया है।
- क्या होगा 31 जनवरी के बाद?
- योजना का लाभ उठाने वाले अपात्र व्यक्तियों से वसूली की जाएगी।
- वसूली की दर ₹27 प्रति किलो गेहूं (बाजार दर) होगी।
- अगर सक्षम व्यक्ति समय पर नाम नहीं हटाते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
यह सख्त कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि योजना का लाभ केवल उन लोगों को मिले जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है।
खाद्य सुरक्षा योजना की महत्ता
राजस्थान की खाद्य सुरक्षा योजना गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना के तहत राज्य के लाखों परिवारों को प्रति व्यक्ति 5 किलो मुफ्त गेहूं दिया जाता है।
- योजना का मुख्य उद्देश्य:
- गरीब और वंचित तबकों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना।
- उन्हें महंगाई के दौर में राहत देना।
अपात्र लोगों का नाम हटाने की जरूरत क्यों पड़ी?
हाल के वर्षों में यह देखा गया कि कई आर्थिक रूप से सक्षम लोग योजना का अनुचित लाभ उठा रहे थे।
- इससे जरूरतमंद परिवारों को मिलने वाले गेहूं की मात्रा पर प्रभाव पड़ रहा था।
- सरकारी बजट पर भी इसका अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था।
- योजना की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे थे।
सरकार ने गिवअप अभियान चलाकर ऐसे लोगों से स्वेच्छा से योजना से नाम वापस लेने की अपील की है।
सरकार की अगली रणनीति
- सख्त वसूली:
31 जनवरी के बाद जिन लोगों ने स्वेच्छा से नाम नहीं हटवाया है, उनसे बाजार दर पर गेहूं की वसूली की जाएगी। - कानूनी कार्रवाई:
अपात्र व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अभियान की सफलता और भविष्य की राह
अब तक 7 लाख लोगों का नाम हटना यह दिखाता है कि अभियान सफल हो रहा है। यह सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ सही हाथों तक पहुंचे।