राजस्थानी व्याख्याताओं के पद सृजित नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण – कविया
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही
मूंडवा । अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति, राजस्थानी भाषा प्रसार संस्थान के संस्थापक एवं राजस्थानी आंदोलन के अग्रेता लक्ष्मण दान कविया ने शिक्षा विभाग द्वारा व्याख्याताओं की भर्तियों में राजस्थानी भाषा के लिए एक भी पद सृजित नहीं करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। कविया ने प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को लिखे अपने ज्ञापन में खेद प्रकट करते हुए कहा है कि हाल ही में काॅलेज शिक्षा के 575 एवं माध्यमिक शिक्षा के विभिन्न विषयों के 2129 पद की रिक्तियां निकाली गई है। जिसमें राजस्थानी भाषा साहित्य के लिए एक भी पद सृजित नहीं किया गया है जो प्रदेश के मायड़ भाषा प्रेमियों के लिए न्याय संगत बात नहीं कही जा सकती। कविया ने लिखा कि एक तरफ तो राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार को राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए पत्रों के माध्यम से पुरजोर मांग दोहराई है । जबकि दूसरी तरफ भर्तियों में राजस्थानी भाषा के व्याख्याता पदों को नजरंदाज करना मायड़ भाषा के शिक्षित बेरोजगारों की उपेक्षा किया जाना सरकार की कथनी और करनी में अंतर स्पष्ट झलकता है जो अपने आपको जनता की सरकार बताने वालों को शोभा नहीं देती है। सरकार का यह निर्णय प्रदेशवासियों के लिए न्याय संगत नहीं है। कविया ने लिखा कि अतः आपश्री से आग्रहपूर्वक अनुरोध है कि आप अतिशीघ्र राजस्थानी भाषा साहित्य के व्याख्याताओं के पद सृजित कर प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को राहत प्रदान करें। साथ ही आगामी शिक्षा सत्र में प्रदेश में 100 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में राजस्थानी भाषा साहित्य ऐच्छिक विषय के रूप में आरंभ करने का श्रेय एवं प्रेय कार्य भी करावें। राजस्थानी प्रेमियों व युवा शिक्षित बेरोजगारों को आपसे सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा रहेगी।
