✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को मतदान होगा। चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च की सीमा बढ़ाकर 40 लाख रुपये कर दी है, जो 2020 के चुनाव में निर्धारित 28 लाख रुपये से 12 लाख रुपये अधिक है।
चुनावी खर्च की निगरानी के सख्त प्रावधान
चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के खर्चों में पारदर्शिता लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं:
प्रत्येक उम्मीदवार को अपना खर्च रिकॉर्ड करना होगा।
खर्च का विवरण नियमित रूप से मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय में जमा करना अनिवार्य है।
उम्मीदवारों को चुनावी खर्चों के लिए अलग बैंक खाता खोलना होगा।
व्यय पर्यवेक्षक और उड़नदस्ते यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई उम्मीदवार तय सीमा से अधिक खर्च न करे।
नामांकन प्रक्रिया का शेड्यूल
नामांकन प्रक्रिया शुरू: 10 जनवरी
नामांकन की अंतिम तिथि: 17 जनवरी
नामांकन पत्रों की जांच: 18 जनवरी
नाम वापसी और चुनाव चिह्न आवंटन: 20 जनवरी
चुनाव प्रचार और मतदान
चुनाव प्रचार 3 फरवरी की शाम 5 बजे समाप्त हो जाएगा। इसके बाद, 5 फरवरी को मतदान होगा। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष और पारदर्शी मतदान सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं।
परिणाम की घोषणा
8 फरवरी को मतगणना होगी और उसी दिन परिणाम घोषित किए जाएंगे। यह दिन दिल्ली की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह तय करेगा कि अगले पांच वर्षों तक राजधानी का नेतृत्व कौन करेगा।
आयोग की व्यापक तैयारियां
चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता लागू कर दी है और सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को इसके पालन का निर्देश दिया है। इसके अलावा, मतदान प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं।
जनता की भूमिका और अहमियत
दिल्ली चुनाव 2025 केवल राजधानी की राजनीति ही नहीं, बल्कि देशभर में लोकतंत्र की मजबूती का संदेश देने वाला है। जनता की भागीदारी चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।
पारदर्शिता और जिम्मेदारी की परीक्षा
इस बार का चुनाव उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ी परीक्षा है। पारदर्शिता और जिम्मेदारी के मापदंडों पर खरा उतरना जरूरी होगा। यह चुनाव न केवल नई सरकार का गठन करेगा, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती का भी प्रमाण देगा।
दिल्ली चुनाव 2025 देशभर में राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है। जनता की भागीदारी और आयोग की सख्त निगरानी से यह चुनाव एक मिसाल बन सकता है।