महाकुंभ 2025:
✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
प्रयागराज।
भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक, महाकुंभ 2025, में इस बार विशेष आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है। दुनिया की सबसे धनी महिलाओं में शुमार और Apple के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की विधवा, लॉरेन पॉवेल जॉब्स, प्रयागराज में पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने पहुंचेंगी।
सूत्रों के अनुसार, लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ में शामिल होने के लिए अपनी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है। यह पहली बार है जब टेक्नोलॉजी और बिजनेस की दुनिया से इतनी बड़ी हस्ती महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में भाग लेगी।
आस्था और भारतीय संस्कृति के प्रति आकर्षण
लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने कई बार भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति अपना झुकाव व्यक्त किया है। बताया जा रहा है कि वह भारतीय सभ्यता, योग और ध्यान में गहरी रुचि रखती हैं। महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान कर वह भारतीय धार्मिक परंपराओं का अनुभव करना चाहती हैं।
महाकुंभ में सुरक्षा के विशेष इंतजाम
महाकुंभ में हर बार देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन इस बार लॉरेन पॉवेल जॉब्स जैसे हाई-प्रोफाइल व्यक्ति के आने से प्रशासन ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं। उनके प्रवास के लिए प्रयागराज के किसी लग्जरी होटल या विशेष रूप से तैयार किए गए कैंप का चयन किया जाएगा।
स्टीव जॉब्स और भारत का संबंध
यह उल्लेखनीय है कि स्टीव जॉब्स भी भारतीय संस्कृति और साधु-संतों से प्रभावित थे। उन्होंने 1970 के दशक में भारत की यात्रा की थी और यहां के साधना-मार्ग का अनुभव किया था। लॉरेन पॉवेल का इस आयोजन में शामिल होना, उनकी इस आध्यात्मिक विरासत को आगे बढ़ाने जैसा माना जा रहा है।
महाकुंभ में आ रहे अन्य विदेशी मेहमान
लॉरेन पॉवेल जॉब्स के अलावा, महाकुंभ 2025 में कई अन्य विदेशी हस्तियों के आने की भी उम्मीद है। प्रशासन ने वीआईपी डेलीगेट्स के लिए खास सुविधाएं उपलब्ध कराने की योजना बनाई है।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ, हर 12 साल में आयोजित होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। इसमें शामिल होकर लोग अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास रखते हैं। इस बार के आयोजन को लेकर विशेष तैयारियां की जा रही हैं, जिसमें आधुनिक तकनीकों का भी सहारा लिया जा रहा है।
आखिरी शब्द
लॉरेन पॉवेल जॉब्स का महाकुंभ में शामिल होना भारतीय धार्मिक आयोजनों की वैश्विक लोकप्रियता को दर्शाता है। यह घटना न केवल भारतीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान देगी, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए भी प्रेरणा बनेगी।
महाकुंभ 2025 की यह कहानी निश्चित रूप से इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी।