आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में एक बड़ा और विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि राज्य में नगरपालिका और पंचायत चुनावों में वही लोग चुनाव लड़ सकेंगे जिनके पास दो से ज्यादा बच्चे होंगे। उनका यह बयान राज्य विधानसभा द्वारा तीन दशक पुराने कानून को बदलने के बाद आया है, जिसके तहत दो से ज्यादा बच्चों वाले लोग स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकते थे।

आंध्र प्रदेश: 2 से ज्यादा बच्चे होने पर ही लड़ पाएंगे चुनाव, ये राज्य लेने जा रहा एकदम अलग फैसला
नायडू का बयान और उनका दृष्टिकोण
चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति के पास अपने पैतृक गांव नरवरिपल्ले में संक्रांति के मौके पर यह बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा, “हमारे पास पहले एक कानून था, जिसके तहत दो से ज्यादा बच्चे न होने वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते थे। अब मैं कहता हूं कि कम बच्चों वाले लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। भविष्य में आप सरपंच, नगर पार्षद या महापौर तभी बन पाएंगे जब आपके दो से ज्यादा बच्चे होंगे।”
ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को मिलेगा लाभ
नायडू ने बताया कि वे ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए पंचायत और नगरपालिका चुनावों में चुनाव लड़ने की अनुमति देंगे। साथ ही, उन परिवारों को ज्यादा सब्सिडी वाले चावल भी मुहैया कराए जाएंगे। नायडू ने यह भी कहा कि वे इस संबंध में प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को 25 किलोग्राम चावल मुहैया कराया जाएगा, जिसमें हर सदस्य को 5 किलो चावल मिलेगा।
प्रजनन दर के संकट का सामना करने की चेतावनी
नायडू ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत को आने वाले समय में बढ़ती उम्र की आबादी की चिंता का सामना करना पड़ेगा, जैसा कि जापान, कोरिया और कई यूरोपीय देशों में हो रहा है। इन देशों ने परिवार नियोजन नीति को बढ़ावा दिया था, लेकिन अब उनकी प्रजनन दर बेहद कम हो गई है। नायडू ने भारत को चेतावनी दी कि अगर परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा सख्त नियम बनाए गए तो आने वाले सालों में भारत भी इस समस्या का सामना कर सकता है।
दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रजनन दर
नायडू के बयान को ध्यान में रखते हुए यह भी जानना जरूरी है कि दक्षिण भारत में प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत से कम है। दक्षिण भारतीय राज्यों में कुल प्रजनन दर (TFR) 1.73 है, जो राष्ट्रीय औसत 2.1 से कम है। वहीं, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों की प्रजनन दर 2.4 है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
आर्थिक और जनसांख्यिकीय लाभ का जिक्र
नायडू ने यह भी कहा कि अगर सही नीतियों के साथ इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया की जाए तो भारत 2047 तक एक बड़ा जनसांख्यिकीय लाभ हासिल कर सकता है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
यह बयान आंध्र प्रदेश के अलावा पूरे देश में एक नए बहस का विषय बन सकता है।