किशन लाल वर्मा के महाकाव्य “बुद्धायन ” और “कोरोना का कहर” का लोकार्पण संपन्न
वर्तमान समाज को बुद्ध की करुणा की सर्वाधिक जरूरत
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही

कोटा, राजस्थान।
मदर टेरेसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल के विशाल कक्ष में कवि किशन लाल वर्मा के महाकाव्य “बुद्धायन और खण्ड काव्य “कोरोना का कहर” का भव्य लोकार्पण कोटा नगर एवं हाड़ौती अंचल से आए प्रतिनिधि साहित्यकारों की उपस्थिति में गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर अनिता वर्मा ने कहा कि किशन लाल वर्मा के लेखन से हाड़ौती साहित्य को जन भाषा में श्रेष्ठ सृजन करने का आकाश मिला है। बुद्धायन महाकाव्य में बुद्ध का दर्शन भी है, उनके उपदेश भी हैं और साहित्य की गहनता भी है। समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. एच. एन. बौद्ध धर्माचार्य ने कहा कि कवि किशन वर्मा ने अपने महाकाव्य में बुद्ध के जीवन और विचारों को साकार कर दिया है। साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही ने अपने उद्बोधन में किशन वर्मा को राजस्थानी भाषा में महाकाव्यों के प्रणेता बताते हुए कहा कि उनकी काव्य साधना ने साहित्य में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। जिस तरह तुलसी ने अवधी भाषा में रामचरित मानस लिख कर उसे जन मानस तक पहुंचाया, किशन वर्मा का यह महाकाव्य भी जनपदों और गांवों की चौपालों और खलिहानों तक अपना उजाला फैलाएगा। महेन्द्र नेह ने ” “कोरोना का कहर” पर अपने विचार रखते हुए कहा कि इस खण्ड काव्य में कवि किशन वर्मा की मानवीय और सामाजिक संवेदनाओं ने एक ऐसे संकट का चित्रण किया है, जब विश्व मानवता ने अपने आत्मीयों को खो दिया किन्तु पराजय नहीं मानी । लेखक सत्येन्द्र वर्मा ने किशन लाल वर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व का परिचय देते हुए कहा कि वे साहित्य का एक नया वितान बुन रहे हैं। ममता महक ने बुद्धायन महाकाव्य पर प्रस्तुत पत्र वाचन में उसकी कथ्य और शिल्प की खूबियों को दर्शाया। विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रीति मीणा ने कहा कि दोनों ही काव्य पुस्तकों में करुणा और शांति का अमर संदेश व्यक्त हुआ है। संस्कृत के आचार्य डॉ. के. बी. भारतीय ने संस्कृत साहित्य में बुद्ध पर लिखे गए महाकाव्यों का संदर्भ देते हुए वर्तमान महाकाव्य से जोड़ा।समारोह का सार्थक और कुशल संयोजन कथाकार विजय जोशी ने किया। समारोह में हाड़ौती अंचल की साहित्यिक और सामाजिक संस्थाओं ने महाकाव्य लिखने के लिए कवि किशन वर्मा की भूर भूर प्रशंसा करते हुए उन्हें सम्मानित किया। समारोह में बौद्ध महा संघ एवं सुभाष एजुकेशन अकादमी की ओर से उपस्थित सभी साहित्यकारों और सहयोगियों को शाल ओढ़ा कर, सम्मान पत्र एवं पुस्तकें भेंट की गईं। कवि किशन वर्मा ने कहा कि उन्होंने बुद्धायन सहित सभी पुस्तकें लोक प्रेरणा और जन भावनाओं पर ध्यान दे कर लिखी हैं। दूसरे सत्र की अध्यक्षता राजेन्द्र कुमार शर्मा ने की, मुख्य अतिथि डॉ. अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि दोनों ही पुस्तकें साहित्य की उपलब्धि हैं।सत्र में दौलतराम शाक्यवाल, धनीराम समर्थ , योगेन्द्र कुमार शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए। संचालन राजेन्द्र पंवार एवं आनंद हजारी ने किया। चंदालाल चकवाला ने सभी आगंतुकों को सफल आयोजन हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया।