✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
पाली – जिले के भालेराव-निमली सड़क मार्ग पर एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई, जहां झाड़ियों के बीच 2 महीने की नवजात बच्ची लावारिस हालत में मिली। राहगीरों ने बच्ची की रोने की आवाज सुनी और जब पास जाकर देखा तो वे स्तब्ध रह गए। तुरंत इसकी सूचना ग्रामीणों ने सदर थाना पुलिस को दी।
पुलिस ने नवजात को सुरक्षित किया
सूचना मिलते ही सदर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और नवजात बच्ची को अपने कब्जे में लिया। बच्ची को तुरंत पाली के बांगड़ अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया।
बच्ची को सखी सेंटर किया सुपुर्द
अस्पताल में बच्ची की प्रारंभिक जांच के बाद पुलिस ने उसे सखी सेंटर को सौंप दिया, जहां उसका उचित देखभाल की जाएगी। फिलहाल पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि बच्ची को यहां किसने और क्यों छोड़ा।
नवजात को छोड़ने के पीछे क्या है कारण?
बच्ची को झाड़ियों में छोड़ने के पीछे कौन जिम्मेदार है, यह सवाल अभी अनुत्तरित है। पुलिस आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है और स्थानीय लोगों से पूछताछ कर रही है।
लिंग भेदभाव का मामला या मजबूरी?
अक्सर देखा जाता है कि बेटियों को जन्म के बाद छोड़ दिया जाता है क्योंकि कुछ समाजों में अब भी बेटों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। यह घटना भी कहीं इसी मानसिकता का नतीजा तो नहीं? या फिर किसी आर्थिक या पारिवारिक मजबूरी में बच्ची को लावारिस छोड़ दिया गया?
आगे की कार्रवाई
- पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
- आसपास के अस्पतालों और प्रसव संबंधी रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं।
- स्थानीय लोगों से पूछताछ की जा रही है कि कहीं किसी महिला ने हाल ही में बच्ची को जन्म दिया हो।
मानवता पर सवाल!
इस घटना ने एक बार फिर समाज में नवजात बच्चियों के प्रति संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है। यदि समय रहते ग्रामीणों को बच्ची की रोने की आवाज सुनाई नहीं देती, तो उसका बचना मुश्किल था। यह घटना हमारे समाज के लिए एक चेतावनी है कि बेटा-बेटी के भेदभाव की मानसिकता को खत्म करना होगा।