
जयपुर, 19 फरवरी 2025 – राजस्थान सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी का डिमोशन कर दिया है। उन्हें वरिष्ठ वेतनमान (लेवल-11) से कनिष्ठ वेतनमान (लेवल-10) में तीन वर्षों के लिए डिमोट कर दिया गया है। राज्य में यह पहला मामला है जब किसी आईपीएस अधिकारी का इस तरह से पदावनत (डिमोशन) किया गया हो।
क्या है पूरा मामला?
पंकज चौधरी वर्तमान में जयपुर पुलिस मुख्यालय में सामुदायिक पुलिसिंग के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के पद पर कार्यरत हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने पहली पत्नी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी की। इस मामले में उनके खिलाफ विभागीय जांच की गई थी, जिसके बाद सरकार ने उनके डिमोशन का फैसला लिया।
हालांकि, इस मुद्दे पर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT), दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही चौधरी के पक्ष में निर्णय दिया था। बावजूद इसके, राज्य सरकार ने उनके खिलाफ यह कार्रवाई की है।
पत्नी मुकुल चौधरी का राजनीतिक कनेक्शन
पंकज चौधरी की पत्नी मुकुल चौधरी एक जानी-मानी भाजपा नेत्री हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ चुनाव लड़ा था, हालांकि वे हार गई थीं। मुकुल चौधरी पूर्व कानून मंत्री शशि दत्ता की पुत्री हैं और राजस्थान की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं।
पहले भी रहे हैं विवादों में
पंकज चौधरी का नाम कई बार विवादों में आ चुका है। जब वे जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक थे, तब उन्होंने गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट खोली थी, जिससे अशोक गहलोत सरकार नाराज हो गई थी और उन्हें पद से हटा दिया गया था। इसके बाद, जब वे बूंदी में एसपी के पद पर तैनात थे, तब वहां सांप्रदायिक दंगे भड़कने के बाद तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने उनका तबादला कर दिया था।
पंकज चौधरी ने क्या कहा?
सरकार के इस फैसले के बाद पंकज चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह आदेश पूरी तरह से गलत और न्यायालय की अवमानना है। उन्होंने कहा कि वे इस निर्णय को चुनौती देंगे, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय तक ने उनके पक्ष में फैसला दिया था।
क्या यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है?
इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या सरकार ने बदले की भावना से यह कार्रवाई की है? मुकुल चौधरी के भाजपा से जुड़े होने और मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने को देखते हुए कई लोग इस फैसले को राजनीति से प्रेरित मान रहे हैं।
राजस्थान में यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है और अब देखना होगा कि पंकज चौधरी इस फैसले के खिलाफ क्या कदम उठाते हैं और सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।