✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
जयपुर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर मदन राठौड़ पर भरोसा जताते हुए उन्हें राजस्थान का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति खास इसलिए भी है क्योंकि सात महीने के भीतर यह दूसरी बार है जब राठौड़ को प्रदेश संगठन की कमान सौंपी गई है। भाजपा नेतृत्व के इस फैसले के पीछे कई राजनीतिक समीकरण और रणनीतिक गणनाएँ मानी जा रही हैं।
मदन राठौड़ की दोबारा ताजपोशी के पीछे की वजहें
मदन राठौड़ को दूसरी बार प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण बताए जा रहे हैं—
- मजबूत संगठन क्षमता: राठौड़ को पार्टी संगठन का बेहतरीन रणनीतिकार माना जाता है। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी।
- सामाजिक और जातीय संतुलन: भाजपा, राजस्थान में राजपूत, जाट, ब्राह्मण और ओबीसी वोट बैंक को संतुलित करना चाहती है। राठौड़ की नियुक्ति से भाजपा को ओबीसी समुदाय में मजबूती मिल सकती है।
- आगामी चुनावी रणनीति: 2024 के लोकसभा चुनावों और आगामी विधानसभा उपचुनावों को देखते हुए भाजपा को एक अनुभवी और ज़मीनी नेता की जरूरत थी, जो पार्टी को प्रदेश में मजबूती दे सके।
- पार्टी आलाकमान का भरोसा: पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को राठौड़ की कार्यशैली पर पूरा विश्वास है, इसलिए उन्हें दोबारा यह जिम्मेदारी दी गई है।
भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश, विपक्ष ने कसा तंज
मदन राठौड़ की नियुक्ति के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। जयपुर समेत कई जिलों में कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाते हुए आतिशबाजी की और मिठाइयाँ बाँटीं। वहीं, कांग्रेस ने इस नियुक्ति को भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी का परिणाम बताया।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा,
“भाजपा खुद अपनी ही पार्टी में अस्थिरता से जूझ रही है, तभी सात महीने में दो बार अध्यक्ष बदलने की नौबत आ गई है। इससे साफ पता चलता है कि पार्टी में एकमत नहीं है।”
मदन राठौड़ का राजनीतिक सफर
- राजनीतिक करियर: राठौड़ ने छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरुआत की और धीरे-धीरे पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर पहुँचे।
- अनुभव: वे कई वर्षों से भाजपा संगठन में सक्रिय रहे हैं और पार्टी के विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
- पहला कार्यकाल: पिछले सात महीनों में उन्होंने भाजपा को कई जिलों में मजबूत किया और पार्टी को एकजुट रखने में बड़ी भूमिका निभाई।
आगे की राह और चुनौतियाँ
मदन राठौड़ के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना, आगामी चुनावों की रणनीति तैयार करना और कांग्रेस के बढ़ते हमलों का जवाब देना शामिल है। अब देखना होगा कि वे अपने दूसरे कार्यकाल में भाजपा को किस दिशा में ले जाते हैं और पार्टी को किस हद तक मजबूत कर पाते हैं।