✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

झालावाड़। जिले के डग थाना क्षेत्र के पाड़ला गांव में रविवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया, जहां 5 वर्षीय मासूम बच्चा प्रहलाद खेलते समय 40 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। घटना की सूचना मिलते ही गांव में हड़कंप मच गया। परिजनों और ग्रामीणों ने तत्काल प्रशासन को सूचित किया, जिसके बाद पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंचकर बच्चे को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है।
कैसे हुआ हादसा?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रहलाद अपने दोस्तों के साथ खेत में खेल रहा था। खेत में बिना ढक्कन के खुला पड़ा बोरवेल मासूम की जिंदगी के लिए खतरा बन गया और खेलते-खेलते वह अचानक उसमें गिर गया। बच्चा गिरते ही चीखने लगा, जिसे सुनकर उसके दोस्तों ने गांव में जाकर सूचना दी। परिजन मौके पर पहुंचे और तुरंत प्रशासन को सूचित किया।
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
घटना की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गई। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, बच्चे तक ऑक्सीजन पहुंचाने की व्यवस्था की गई है ताकि वह सुरक्षित रहे। बचाव कार्य के लिए जेसीबी मशीन से खुदाई शुरू कर दी गई है।
गंगधार एसडीएम छत्रपाल सिंह ने बताया कि –
“बच्चे को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकालने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। बोरवेल के चारों ओर खुदाई की जा रही है ताकि सुरक्षित रेस्क्यू किया जा सके।”
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
राजस्थान सहित कई राज्यों में खुले बोरवेल बच्चों के लिए मौत का गड्ढा साबित हो चुके हैं। इससे पहले भी कई मासूम ऐसे हादसों का शिकार हो चुके हैं। राज्य सरकार ने कई बार खुले बोरवेल बंद करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन फिर भी ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं।
गांव में भारी भीड़, परिजन बेहाल
बच्चे के बोरवेल में गिरने की सूचना से पूरे गांव में हड़कंप मच गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जमा हो गए हैं। परिजन रो-रोकर बेसुध हो गए हैं, वहीं प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
ताजा अपडेट
- रेस्क्यू ऑपरेशन 4 घंटे से जारी है।
- बच्चे तक ऑक्सीजन पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।
- बचाव दल तेजी से खुदाई कर रहा है।
- जिला प्रशासन, पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर मौजूद।
क्या सरकार लेगी कोई सख्त फैसला?
यह घटना एक बार फिर प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है। खुले बोरवेल को बंद करने के निर्देश कई बार दिए गए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक मासूमों की जिंदगी इस तरह दांव पर लगती रहेगी?
(अगला अपडेट जल्द… बने रहें)