✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सनातन धर्म में कालाष्टमी पर्व का विशेष महत्व है। यह हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन काल भैरव देव की आराधना करने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से तंत्र और साधना करने वाले साधक इस दिन काल भैरव की कठिन उपासना कर सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त
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वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च को सुबह 04 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और 23 मार्च को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी।
काल भैरव की पूजा विशेष रूप से निशा काल (रात्रि काल) में करने का विधान है। इसलिए इस बार चैत्र माह की कालाष्टमी 22 मार्च को मनाई जाएगी।
निशा काल में पूजा का शुभ समय
रात 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक
कालाष्टमी व्रत और पूजा विधि
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- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान शिव और काल भैरव की प्रतिमा का गंगाजल से अभिषेक करें।
- पूजा में दीपक, काले तिल, उड़द, और सरसों के तेल का प्रयोग करें।
- शाम को भगवान शिव, माता पार्वती और काल भैरव की विशेष पूजा करें।
- श्री कालभैरवाष्टक स्तोत्र और काल भैरव चालीसा का पाठ करें।
- काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
काल भैरव को प्रसन्न करने के उपाय
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- सरसों के तेल का दीपक जलाकर भगवान भैरव की पूजा करें।
- गरीबों को वस्त्र और भोजन का दान करें।
- 21 बिल्वपत्रों पर “ॐ नम: शिवाय” लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
- श्री कालभैरवाष्टक का पाठ करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- तंत्र साधना करने वाले साधक इस दिन विशेष पूजा करते हैं।
कालाष्टमी के दिन न करें ये गलतियां
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- शराब और मांसाहारी भोजन का सेवन न करें।
- अहंकार से बचें और बुजुर्गों व महिलाओं का अनादर न करें।
- नुकीली चीजों (चाकू, कैंची आदि) का अधिक प्रयोग न करें।
- किसी भी जानवर को परेशान न करें, इससे काल भैरव अप्रसन्न होते हैं।
- माता-पिता और गुरु का अपमान करने से बचें।
कालाष्टमी व्रत का फल
जो भी व्यक्ति इस दिन नियमपूर्वक काल भैरव की पूजा करता है, उपवास रखता है और नियमों का पालन करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। भगवान काल भैरव अपने भक्तों को भयमुक्त करते हैं और उनके समस्त संकटों को हर लेते हैं।