
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही के साथ पवन पहाड़िया की रिपोर्ट
*महाविद्यालय परिसर में लगाए परींडे, चुग्गापात्र एवं घोंसले*
*पर्यावरण संरक्षण एवं जीवदया का भाव भारतीय संस्कृति का प्राणतत्व*
लाडनूं, नागौर। ‘‘प्राणिमात्र के प्रति दया एवं सहयोग का सकारात्मक भाव रखना भारतीय जीवन-पद्धति का अहम अंग है। हमारी संस्कृति पर्यावरण संरक्षण के साथ जीव-दया का सनातनी संदेश देती है। हर भारतीय गृहस्थ की दैनन्दिन जीवनचर्या में संवेदनशीलता, सहनशीलता एवं सहयोगात्मक दृष्टि के साथ ही अपने आप-पास के परिवेश में रहने वाले हर प्राणी के प्रति प्रेम का भाव रहता है। उसी भाव की पुष्टि है पक्षियों के लिए चुग्गा-पात्र, परींडे एवं घोंसले लगाना।’’ उक्त विचार राजकीय कन्या महाविद्यालय, लाडनूं में शनिवार को आयोजित *‘‘प़क्षी एवं पर्यावरण के प्रति मानव का दायित्व’’* विषयक संगोष्ठी के मुख्य वक्ता एवं नेचर एनवायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ सोसायटी, तालछापर के संरक्षक *डॉ. घनश्यामनाथ कच्छावा* ने व्यक्त किए। नेचर एनवायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ सोसायटी के अध्यक्ष *कन्हैयालाल स्वामी* ने गौरैया बचाओ अभियान के तहत अपनी संस्था द्वारा किए गए प्रयासों की जानकारी देते हुए कन्या महाविद्यालय को गौरैया-घोंसले एवं चुग्गा-पात्र भेंट किए तथा उनकों लगाने एवं रखरखाव की जानकारी दी।
*‘उजास’ जसवंतगढ़ के प्रतिनिधि डॉ. रामगोपाल जाट* ने अपने संस्थान की ओर से महाविद्यालय को परींडे भेंट किए तथा कहा कि बेजुबान पक्षियों के प्रति यह आमजन का नैतिक दायित्व है कि वो भीषण गर्मी में उनके पेय एवं खाद्य की व्यवस्था करे। उन्होंने कन्या महाविद्यालय परिसर में उपलब्ध खेजड़ी के बीस से अधिक बड़े एवं घने पेड़ों को पक्षियों के लिए स्वर्ग समान बताया।
संस्थान के *प्राचार्य डॉ. गजादान चारण* ने कहा कि आज विकास के अतीव भागते दौर में हम प्रकृति एवं पर्यावरण से कटते जा रहे हैं। हमें चिड़िया की आवाज तो अच्छी लगती है किंतु असली चिड़िया को अपने बंगले में देखना हमें पसंद नहीं है। आज के भवनों में पक्षियों के लिए कोई स्थान नहीं है, ऐसे में उजास एवं नेचर एनवायरनमेंट एंड वाइल्डलाइफ सोसायटी जैसी संस्थाएं मानवीय संवेदना को बचाने का अहम कार्य कर रही हैं। डॉ. चारण ने कहा कि आज दोनों संस्थानों की ओर से महाविद्यालय परिसर में परींडे एवं घोंसले लगाले के साथ ही चुग्गा-पात्र रखे गए हैं, एतदर्थ उनका आभार।
*कार्यक्रम समन्वयक सुरेन्द्र कागट* ने दोनों संस्थाओं को यह भरोसा दिलाया कि इस महाविद्यालय की परिसर में लगा प्रत्येक परींडा हर पल पानी से भरा रहेगा, चुग्गा-पात्र में चुग्गा उपलब्ध रहेगा तथा घोंसलों की सुरक्षा का जिम्मा हम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारी छात्राएं इस हेतु दृढ़ संकल्पित हैं, वही महाविद्यालय परिवार का हरेक सदस्य इस पुण्यकार्य को संपादित कर अपना सौभाग्य मनाएगा।
इस दौरान *टीम-वॉलीवाल लाडनूं के जगदीश पोटलिया एवं दिनेश, जैतून फार्म के कैलाश चौधरी* ने परींडे लगाने में सक्रिय भूमिका अदा की। *महाविद्यालय की छात्राओं* ने इस कार्य में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया तथा सभी परींडो में पानी एवं चुग्गापात्रों में दानें भरने का कार्य कर खुशियां मनाई।