नई दिल्ली:
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध (टैरिफ वार) का असर अब भारतीय बाजारों पर भी साफ़ तौर पर दिखने लगा है। खासकर खाद्य तेलों की कीमतों में, जो पिछले एक साल से लगातार ऊँचाई पर बनी हुई थीं, अब पहली बार गिरावट देखने को मिल रही है।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा टैरिफ में भारी बढ़ोतरी के चलते वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ है। भारत पर इसका असर इस रूप में देखने को मिल रहा है कि देश में आने वाले खाद्य तेलों के आयात में कमी आई है।
कहाँ से और कितना है शुल्क का अंतर?
जानकारी के अनुसार, अमेरिका से भारत में आने वाली वस्तुओं पर औसतन 7.7% शुल्क लगाया जा रहा है, जबकि भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाली वस्तुओं पर मात्र 2.8% शुल्क ही लगता है। यह 4.9% का भारी अंतर व्यापार असंतुलन को दर्शाता है, जिससे आयात महंगा हो गया है और व्यापारियों ने खरीदारी कम कर दी है।
इससे आम आदमी को क्या फायदा?
चूंकि आयात में कमी के चलते घरेलू बाजार में सप्लाई चेन पर दबाव कम हुआ है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दामों में गिरावट दर्ज की गई है, इसलिए खाद्य तेलों की कीमतों में भी नरमी देखने को मिल रही है। इससे आमजन को थोड़ी राहत मिल सकती है, क्योंकि खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर कम हो सकती है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह स्थिति बनी रहती है और टैरिफ वार लंबा खिंचता है, तो खाद्य तेलों सहित अन्य आयातित उपभोक्ता वस्तुओं के दामों में भी धीरे-धीरे गिरावट आ सकती है। इससे उपभोक्ताओं को राहत तो मिलेगी, लेकिन लंबी अवधि में व्यापार घाटा और विदेशी निवेश पर असर भी हो सकता है।
डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। भारत में इसका असर खाद्य तेल के दामों में गिरावट के रूप में देखा जा रहा है, जिससे आम लोगों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि, आगे चलकर इसका असर अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ेगा, इस पर सरकार और उद्योग दोनों की नजर बनी हुई है।