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31 कलमकारों को हुआ सम्मान एवं 15 महत्त्वपूर्ण पुस्तकों को हुआ लोकार्पण
नागौर

डेह में राजस्थानी भाषा उच्छब सम्पन्न
31 कलमकारों को हुआ सम्मान एवं 15 महत्त्वपूर्ण पुस्तकों को हुआ लोकार्पण

ABDUL SAMAD RAHI
Last updated: April 20, 2025 1:07 pm
ABDUL SAMAD RAHI
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9 Min Read
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पवन पहाड़िया डेह नागौर

डेह में राजस्थानी भाषा उच्छब सम्पन्न
31 कलमकारों को हुआ सम्मान एवं 15 महत्त्वपूर्ण पुस्तकों को हुआ लोकार्पण


राजस्थानी को द्वितीय राजभाषा घोषित करने का प्रस्ताव
राजस्थानी में मान्यता के लिए आवश्यक तमाम विशिष्टताएं हैं विद्यमान

‘‘डेह, नागौर। राजस्थानी दुनिया की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है, जिसका गौरवपूर्ण इतिहास, विविधरंगी साहित्य एवं जीवनमूल्यों की जगमगाती ज्योति का कोई मुकाबला नहीं है। राजस्थान में एक स्वतंत्र एवं समद्ध भाषा की वे तमाम विशिष्टताएं विद्यमान हैं, जिनके आधार पर किसी भाषा को प्रांत में द्वितीय राजभाषा एवं केंद्र में संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा जा सकता है।’’ उक्त विचार राजस्थान सरकार में मुख्य सचेतक एवं जालौर के विधायक जोगेश्वर गर्ग ने नागौर जिले के डेह गांव में आयोजित मायड़भाषा राजस्थानी साहित्यकार सम्मान एवं पोथी लोकार्पण उच्छब में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कहा। श्री गर्ग ने बतौर मुख्य सचेतक यह विश्वास दिलाया कि जिस दिन राजस्थान विधानसभा में राजस्थानी को द्वितीय राजभाषा बनाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित होकर मेरे पास आएगा, उसे पास करने में एक मिनट का समय भी नहीं लगेगा।

कार्यक्रम अध्यक्ष एवं जायल विधायक डॉ. मंजु बाघमार ने कहा कि राजस्थान सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक स्तर की कक्षाओं में अध्ययन-अध्यापन का माध्यम राजस्थानी बनाने एवं राजस्थानी में पाठ्यपुस्तकें तैयार करने का योजना बना ली है तथा इस पर कार्य शुरु हो चुका है। उन्होंने यह भीर कहा कि जब प्राथमिक स्तर की शिक्षा राजस्थानी में होने लगेगी तो केंद्र की आठवीं अनुसूची में इसे मान्यता देने का रास्ता सरल हो जाएगा।

कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि एवं राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत ने राजस्थानी भाषा की साहित्यिक समृद्वि, इसमें उपलब्ध हस्तलिखित ग्रंथ, इतिहास की धाराएं बदलने वाले काव्यग्रंथों, विभिन्न धरोहरों सहित राजस्थानी व्याकरण, काव्यशास्त्र, शब्दकोश इत्यादि की जानकारी देने के साथ ही राजस्थान में बने सैकड़ों पैनेरेमा एवं उनमें राजस्थानी साहित्य के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु बहुमुखी प्रयासों की आवश्यकता है। निश्चित रूप से ही राजस्थानी की मांग को जनता की आवाज बनाना आवश्यक है। उन्होंने मांग की कि बाल एवं युवा पीढ़ी को हमारे महापुरुषों के नाम से बने पैनोरेमा का भ्रमण कर अपनी जड़ों से जोड़ना आवश्यक है।

अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति तथा नेम प्रकाशन, डेह के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न कुल 31 साहित्यकारों को अलग-अलग विधाओं में लेखन, भाषा एवं संस्कृति के क्षेत्र में की गई उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं साहित्यकार पवन पहाड़िया ने बताया कि समारोह में राजस्थानी पत्रकारिता एवं भाषा मान्यता के क्षेत्र में पांच दशकों से सेवा करने माणक एवं दैनिक जलतेदीप के ख्यातनाम संपादक पदम मेहता को एक लाख रुपये का जैन समाज रत्न निर्मल कुमार सेठी मायड़ भाषा राजस्थानी विशेष सेवा शिखर सम्मान प्रदान किया गया, वहीं राजस्थानी कहानीकार एवं अनुवादक कवि रामस्वरूप किसान को 51000/- धनराशि का रूपचंद समदड़िया राजस्थानी सेवा शिखर सम्मान से नवाजा जाएगा।
कार्यक्रम समन्वयक लक्ष्मणदान कविया ने बताया कि शिखर एवं विशेष शिखर सम्मान के अलावा 29 साहित्यकारां को 11-11 हजार की राशि से पुरस्कृत किया गया, जिनमें नेमीचंद पहाड़िया पद्य पुरस्कार ‘ईश्वर अल्लाह तेरो नाम’ कृति पर किशन कबीरा-राजसमंद को; अमराव देवी पहाड़िया गद्य पुरस्कार ’पाछी बावड़जे मिजाजण’ कृति के लिए जगदीश भारती-कोटा को; सोहनदेवी सुरजमल पांड्या व्यंग्य पुरस्कार ‘कड़कोल्या’ कृति के लिए गोरस प्रचंड-कोटा को, कमला देवी पहाड़िया उपन्यास पुरस्कार ‘फांस’ कृति के लिए ऋतु शर्मा-बीकानेर को; मोहनदान गाडण भक्ति काव्य पुरस्कार ‘वीर शिरोमणि पाबूजी (ख्याल)’ कृति के लिए चतुरसिंह राजपुरोहित-रियां बड़ी को; सोहनदान सिंढायच डिंगल काव्य पुरस्कार ‘रूड़ो राजस्थान : गौरव ज्ञान हजारा’ कृति के लिए गोकुलदान खिड़िया-मालासी लाड़नूं को; जुगलकिशोर जैथलिया राजस्थानी भाषा सेवा पुरस्कार ‘ढूंढाड़ी महक’ कृति एवं वर्षों की राजस्थानी सेवा हेतु कल्याणसिंह शेखावत ‘भाईड़ा’-जयपुर को; गोपीलाल चैनसुख सेठी राजस्थानी साहित्य पुरस्कार ‘अस्यौ छै म्हारौ गांव’ कृति के लिए डॉ कृष्णा कुमारी-कोटा को; कंवरलाल मच्छी महिला लेखन पुरस्कार ‘आभो’ कृति के लिए दीपा परिहार-जोधपुर को; चण्डीदान देवकरणोत अनुवाद पुरस्कार ‘ब्रहापुत्र रै आसै पासै’ कृति के लिए डॉं नमामी शंकर आचार्य-बीकानेर को; अमित सिंह चौहान बाल साहित्य पुरस्कार ‘नानी क्यूं उदास है’ कृति के लिए दीनदयाल शर्मा-हनुमानगढ को; गोपालसिंह उदावत वय-वंदन पुरस्कार ‘उडाण’ कृति के लिए राजेन्द्र मोहन शर्मा-जयपुर को, भंवरलाल बेताल गद्य पुरस्कार ‘राजस्थानी आडियां में जनजीवण’ कृति हेतु डॉ काळू खां देसवाळी-मेड़ता को; राजकंवर लोक-कलाकार पुरस्कार ‘वर्षों की लोककला सेवा हेतु’ लोकगायक कालूराम प्रजापति-जोधपुर को; नाथूराम चौधरी राजस्थानी साहित्य पुरस्कार ‘पांख्या लिख्या ओळमा’ कृति के लिए डॉ. हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’-सूरतगढ़ को; केशवदान सांदू ‘शिव’ पद्य पुरस्कार ‘परणी या कंवारी’ कृति हेतु मदनसिंह राठौड़-सोलंकिया तला शेरगढ़ को; बलदेवराम छीलरा राजस्थानी साहित्य पुरस्कार ‘हाडी राणी री रणभेरी’ कृति हेतु कवि रूपजी रूप-झालावाड़ को; वैद्यराज बंशीधर पारीक वानिकी एवं पर्यावरण पुरस्कार ‘भावां री रमझोळ’ कृति हेतु विजय जोशी-कोटा को; लादीदेवी मोटाराम झाडवाड़ राजस्थानी सृजन पुरस्कार ‘कदै आवसी भोर’ कृति हेतु नंदू राजस्थानी-देवली को; शिंभूराम धोळया राजस्थानी कहाणी पुरस्कार ‘केसर रा छांटा’ कृति के लिए शकुंतला पालीवाल-उदयपुर को; बख्तावरदान जुगतावत पद्य पुरस्कार ‘यूं रचै है आपांनैं किताब’ कृति हेतु अशद अली अशद-बीकानेर को; रतन कंवर ऊमरदान खिड़िया गद्य पुरस्कार ‘सत रौ बळ’ कृति के लिए चौथमल प्रजापति-बूंदी को; गीता देवी बजरंगदास गौतम राजस्थानी लघुकथा पुरस्कार ‘तिस’ कृति के लिए पूर्णिमा मित्रा-बीकानेर को; बाबा रघुनाथराम बेनीवाल बाल गद्य पुरस्कार ‘राधा इस्कूल जावैगी’ कृति के लिए कुसुम अग्रवाल-राजसमंद को; हरिदेवी शेराराम दंतुसलिया गद्य पुरस्कार ‘प्रीत रा परिंदा’ कृति के लिए बद्रीलाल दिव्य-कोटा को; कमलादेवी भंवर पृथ्वीराज रतनू राजस्थानी पद्य पुरस्कार ‘था सूं मिलतां ई’ कृति के लिए मंजू किशोर ‘रश्मि’-कोटा को; मोहनराम छाबा साहित्य पुरस्कार ‘मनड़ै री बात’ कृति हेतु प्रो. संजू श्रीमाली-बीकानेर को; दिलीप कुमार पहाड़िया राजस्थानी युवा पुरस्कार ‘बिरादरी’ कृति के लिए सतीश सम्यक-नोहर, प्रमिलादेवी पांड्या राजस्थानी पुरस्कार ‘सबदां रै धकै’ कृति के लिए आशा पांडे ओझा-उदयपुर को प्रदान किया गया।

समारोह में पवन पहाड़िया की सात कृतियों का विमोचन किया गया, वहीं लक्ष्मणदान कविया, डॉ. गजादान चारण, प्रहलादसिंह झोरड़ा, सत्येन्द्र झोरड़ा, कालू खां देसवाळी, मनोज कुमार व्यास, दीनदयाल शर्मा, भवानी सिंह राठौड़ भावुक , कालू खां देशवाळी मेड़ता की एक-एक पुस्तकों का अतिथियों के करकमलों से लोकार्पण किया गया।

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, डेह की ओर प्राचार्य रामेश्वरलाल छंगाणी ने अभिनन्दन-पत्र भेंट कर पवन पहाड़िया का उनकी राजस्थानी सेवा के साथ समाज सेवा के निमित्त अभिनन्दन किया।

समारोह में राजस्थानी भाषा को प्रान्त की द्वितीय राजभाषा बनाने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे श्रोता-दर्शकों ने सर्वसम्मति से पारित किया।

समारोह में विशिष्ट अतिथि रामधन विश्नोई-तहसीलदार डेह, पदम मेहता (ख्यातनाम साहित्यकार, जोधपुर), रामस्वरूप किसान (ख्यातनाम साहित्यकार, बीकानेर), जेठूसिंह चौहान पंचायत समिति सदस्य डेह, रणवीरसिंह उदावत-सरपंच ग्राम पंचायत डेह ने अपने विचार प्रस्तुत किए। राजस्थानी के लोक कलाकार कालूराम प्रजापति ने ‘सबसूं प्यारो, सबसूं न्यारो, म्हारो मुरधर देस/ पछै म्हे क्यूं जावां परदेस’’ लोकगीत प्रस्तुत किया, वहीं कवि प्रहलादसिंह झोरड़ा ने काव्यगीत प्रस्तुत किया। समारोह का शुभारम्भ सरस्वती वंदाना से किया गया, वंदना जलदाय विभाग में अधीक्षण अभियन्ता जे.के चारण ने प्रस्तुत की। स्वागत उद्बोधन लक्ष्मणदान कविया ने दिया तथा आभार ज्ञापन पवन पहाड़िया ने किया। कार्यक्रम का संचालन राजकीय कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. गजादान चारण ने किया। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। कार्यक्रम में बुद्धाराम जी छाबा अब्दुल रहीम देशवाली चांद मोहम्मद घोसी हलीम आईना, कोटा अब्दुल समद राही मुराद अली आदि सैकड़ो राजस्थानी हेतालु उपस्थित थे।

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