सोजत। हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित आनलाईन परिचर्चा में आईएफडब्ल्युजे पूर्व जिला अध्यक्ष अरुण जोशी ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता अपने उद्भव से लेकर आज दिन तक क ई सोपानों से गुजरी है।
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूत करने में हिंदी पत्रकारिता की महत्ती भूमिका रही हैं और 30 मई का दिन भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में सदैव सदैव के लिए स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा चुका है 1826 में ‘उदंत मार्तड ने
विपरीत परिस्थितियों, खतरों और दबावों के बावजूद निष्पक्षता और ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया था ।
वरिष्ठ पत्रकार कैलाश गहलोत ने कहा कि हर विषम परिस्थितियों में चाहे वो युद्ध का मैदान हो या महामारी के कठिन समय, पत्रकार हमेशा सबसे आगे रहे हैं,।
ब्लॉक अध्यक्ष अशोक खींची ने कहा कि संवाद के आदान-प्रदान के साथ समस्याओं के सकारात्मक सोच के साथ समाधान एवं संस्कृति को परिष्कृत करना हिंदी पत्रकारिता की मुख्य उपलब्धि है।
ओम पाराशर ने कहा कि समय के साथ साथ पत्रकारिता में भी कई बदलाव आए हैं।
वरिष्ठ पत्रकार चेतन व्यास ने कहा कि समय व तकनीकी के साथ साथ पत्रकारिता के स्वरूप ने भी वैज्ञानिक अवधारणा एवं आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त की हैं सैकड़ों हजारों मील दूर घटी घटना आज चंद सैकड़ों में ही पाठकों की जानकारी के लिए उपलब्ध हो जाती हैं ।
आज पत्रकारिता नए युग में प्रवेश कर चुकी है। एआई तकनीकी डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया पत्रकारों की भूमिका और भी ज़िम्मेदारी भरी हो गई है। आज आवश्यकता सटीक, तथ्यपूर्ण और जनहित में पत्रकारिकता करने की हैं।
धन्नाराम परिहार ने कहा कि जब सभी मार्ग बंद हो जाते हैं तो व्यक्ति समाधान की तलाश में ईश्वर के बाद पत्रकारिता के माध्यम को तलाशता हैं”जहाँ न्याय की राह अंधेरे में हो, वहाँ पत्रकारिता ही उजाले की पहली किरण बनती है ।
प्रकाश राठौड़ ने कहा कि पत्रकार समाज का आईना होता है उसका दायित्व स्वस्थ समाज का बिंब दर्शाना होता है।
श्याम नारायण पाराशर ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता निरंतर ऊंचाईयों की ओर अग्रसर है इसके पीछे अनेक प्रबुद्ध पत्रकारों का योगदान है। अशोक गहलोत ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता ने भारत की दशा और दिशा सुधारनें में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।
अब्दुल समद राही ने इसे एक मील का स्तंभ बताया। मीठालाल पंवार ने कहा कि पत्रकारिता कांटों भरा ताज हैं यह राह बड़ी विकट है जहां कदम कदम पर परीक्षा होती है ।
ओम प्रकाश बौराणा ने हिंदी पत्रकारिता दिवस को भारत के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बताया।अजय जोशी ने कहा कि विश्व पटल पर घटित समसामयिक घटनाचक्र को पाठकों के समक्ष चित्रित कर पत्रकार हकीकत को सत्य की कसौटी पर परखता है ।
अकरम खान ने कहा कि जहां सत्य है वहां कलम हैं और सत्य और असत्य की लड़ाई में कलम को सदैव सत्य का साथ देना चाहिए।
