पुस्तक समीक्षा – मन की खिड़कियां खोलता काव्य संग्रह : खिड़कियां
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही
कविताएं-कहानियां हमें जीने का सलीका सिखाती है। इनसे प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन को संवार सकते है। जीवन में हंसी विनोद के रंग भर मुस्कुरा सकते है। इसी भाव को लेकर डॉक्टर चंद्रशेखर भटनागर ने काव्य संग्रह खिड़कियां की रचनाएं रची है। कवि डॉक्टर चंद्रशेखर भटनागर का खिड़कियां पहला हिंदी काव्य संग्रह है। जिसमें उन्होंने कविताओं का सतक लगाया है यानि चौके छक्के लगाते हुए संग्रह में सौ कविताओं का समावेश किया है। बचपन में ही पढ़ने की रुचि रखने वाले चंद्रशेखर को अंग्रेजी पुस्तकें पढ़ने का बड़ा शौक था क्योंकि उनकी शिक्षा का माध्यम ही अंग्रेजी रहा। सबसे पहले आपकी डायरी लिखने की आदत पड़ी और धीरे-धीरे यह कविताओं में परिवर्तित होने लगी। हो भी क्यों नहीं आपको कविताओं का दर्श विरासत में मिला। आपकी मां वरिष्ठ साहित्यकार सुकीर्ति भटनागर एक ख्यातनाम साहित्यकार है। उन्हें अपनी मातृभाषा से प्रेम है तो बेटे को भी हिंदी में लिखने की प्रेरणा दी। जिसका नतीजा यह है कि चंद्रशेखर ने हिंदी में लिखना शुरू किया और एक बेहतरीन काव्य संग्रह खिड़कियां लेकर हमारे बीच आए जो मन की खिड़कियां खोलता है। डॉ चंद्रशेखर भटनागर वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय त्रिनिदाद एवं टोबैगो में वरिष्ठ प्राध्यापक पद पर अपनी सेवाएं दे रहे है। विदेश में रहते हुए अपनी मातृभाषा हिंदी का प्रचार प्रसार कर रहे हैं जो अपनी मातृभाषा के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाता है। आपकी कविताओं में अंदर-बाहर के वह सभी दृश्य हैं जो मन की खिड़कियों के द्वारा देखा जा सकता है। कवि ने मन के भावों को बड़े खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया है। आपकी कविता आदमी के दुख दर्द की बात करती है। समाज में फैली कुरीतियों, हताशा, निराशा और अन्याय हो उजागर करती हैं। कहीं प्रेम के रोमांटिक दृश्य है तो कहीं व्यंग्य के तीर से मन को छलनी किया गया है। कुल मिलाकर आज के बदलते परिवेश को रेखांकित करने की पूरी कोशिश की गई है। भाषा सरल व पठनीय है जो पाठकों को अंत तक जोड़े रखती है। कवि का यह प्रथम प्रयास सराहनीय है। उम्मीद करते हैं कि आप इसी जोश के साथ मातृभाषा की सेवा करते रहेंगे वह अंग्रेजी की तरह हिंदी में भी कविता कहानियां पढ़ने को मिलेगी। इस बेहतरीन संग्रह के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं पेश करता हूं।
समीक्षक : अब्दुल समद राही
पुस्तक : खिड़कियां
लेखक : डॉ चन्द्रशेखर भटनागर
मूल्य : 325/-
संस्करण : 2025
प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर