✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
देवरिया (उत्तर प्रदेश)।
बकरीद जैसे पाक मौके पर जब देशभर में कुर्बानी की रस्म अदा की जा रही थी, तब उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से एक ऐसी हृदयविदारक घटना सामने आई, जिसने हर किसी को झकझोर दिया। गौरीबाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव में 60 वर्षीय बुजुर्ग ईश मोहम्मद ने मस्जिद से नमाज पढ़कर लौटने के बाद बकरी काटने वाले चाकू से खुद की गर्दन रेत दी। यह आत्मघाती कुर्बानी गांव ही नहीं, पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गई।
घटना शनिवार सुबह करीब 11 बजे की है। नमाज अदा करने के बाद ईश मोहम्मद अपनी झोपड़ी में आराम करने चले गए थे। कुछ समय बाद उनकी पत्नी हजरा खातून को झोपड़ी से कराहने की आवाज सुनाई दी। जब वह अंदर पहुंचीं, तो देखा कि ईश मोहम्मद खून से लथपथ पड़े हैं और गर्दन पर गहरा घाव है। परिजन और गांव के लोग उन्हें तत्काल गोरखपुर मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे, जहां देर शाम इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
“मैं खुद अपनी कुर्बानी दे रहा हूं…”
घटना स्थल से एक पत्र भी बरामद हुआ है, जो ईश मोहम्मद ने अपनी आत्महत्या से पहले लिखा था। उसमें उन्होंने लिखा:
“इंसान बकरे को अपने बच्चे की तरह पाल-पोसकर बड़ा करता है और कुर्बानी देता है, वह भी जीव है। कुर्बानी करना चाहिए। मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम से कर रहा हूं। मेरी मिट्टी या कब्र घबराकर मत करना, कोई मुझको कत्ल नहीं किया है। सकून से मिट्टी देना, किसी से डरना नहीं।”
यह पत्र अब पुलिस और धार्मिक जानकारों के लिए सोच का विषय बन गया है। ईश मोहम्मद के इस कदम के पीछे धार्मिक भावना, संवेदना या कोई गहरी मानसिक पीड़ा—इस पर चर्चा हो रही है।
हर साल मजार जाते थे, इस बार लौटे तो खुद को कर दिया कुर्बान
जानकारी के मुताबिक, ईश मोहम्मद एक धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। हर साल बकरीद से पहले अंबेडकर नगर जिले के किछौछा शरीफ स्थित हज़रत सुल्तान सैयद मकदूम अशरफ शाह मजार पर जाया करते थे। इस बार भी वे शुक्रवार को वहां से लौटे थे और शनिवार को यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो गई।
गांव में मातम का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि ईश मोहम्मद समाजसेवी और बेहद शांत स्वभाव के इंसान थे। किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। उनके इस फैसले से पूरा गांव सदमे में है।
पुलिस जांच में जुटी, धार्मिक पहलुओं पर भी विचार
गौरीबाजार थाना पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि आत्महत्या के पीछे किसी तरह की साजिश नहीं दिखती, क्योंकि मृतक ने स्पष्ट रूप से पत्र में लिखा है कि यह उनका अपना निर्णय था।
हालांकि, प्रशासन अब धार्मिक संगठनों और मौलवियों से भी राय ले रहा है ताकि यह समझा जा सके कि क्या इस प्रकार की आत्महत्या को किसी धार्मिक संदर्भ में देखा जा सकता है या यह पूरी तरह मानसिक अस्थिरता का परिणाम है।
समाज में सवाल: क्या यह आस्था की पराकाष्ठा है या पीड़ा की चरम सीमा?
ईश मोहम्मद की यह ‘खुद की कुर्बानी’ कई सवाल खड़े कर रही है। क्या यह धार्मिक आस्था की पराकाष्ठा थी, या फिर उन्होंने कुर्बानी के रिवाज को एक नए, लेकिन बेहद दर्दनाक तरीके से समझने की कोशिश की? क्या किसी मानसिक तनाव ने उन्हें इस चरम कदम के लिए प्रेरित किया?
बकरीद पर जब सभी लोग पशु की कुर्बानी देकर अल्लाह की राह में अपनी भक्ति जताते हैं, तब ईश मोहम्मद ने खुद को ही कुर्बान कर दिया—यह घटना लंबे समय तक याद की जाएगी और शायद बहस का विषय भी बनी रहेगी।
जांच रिपोर्ट का इंतजार, अंतिम संस्कार रविवार को ग्रामीण रीति से होगा।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस जांच के बाद परिजनों ने रविवार को उनके शव को गांव में ही धार्मिक रीति-रिवाज से सुपुर्द-ए-खाक किया।