✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
पाली।
पाली जिले में एक 12 साल के बच्चे की जिद और डर ने जो कहानी रच दी, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। घर पर बिना बताए दोस्तों संग वाटर पार्क गया बच्चा देर शाम तक घर नहीं लौटा। डर था कि माता-पिता डांटेंगे, इसलिए उसने भागने का फैसला कर लिया। जेब में एक रुपया नहीं, खाना नहीं, लेकिन हौसला ऐसा कि 1320 किलोमीटर का सफर तय कर हरियाणा के पानीपत तक पहुंच गया। भूख से बेहोश होकर गिरा, अनजान महिलाओं ने खाना खिलाया। जब पांच दिन बाद बच्चा लौटा, तो मां उसे देख फूट-फूटकर रो पड़ी।
बिना टिकट, बिना पैसे, 3 ट्रेनें बदलीं, 5 दिन बाद लौटा
पाली शहर के सदर थाना क्षेत्र का रहने वाला यह बालक 16 जून को सुबह तीन नाबालिग दोस्तों के साथ पुनायता रोड स्थित एक वाटर पार्क गया था। जेब में पैसे कम थे, पार्क में एंट्री नहीं मिली। घूमते-घूमते शाम हो गई। दोस्त अपने-अपने घर चले गए, लेकिन वह नहीं लौटा। उसे लगा कि देर से पहुंचा तो डांट पड़ेगी, मार पडे़गी, इसलिए उसने घर न लौटने का फैसला किया।
4 किलोमीटर पैदल चला, ट्रेन में बैठ गया
बच्चा 4 किलोमीटर पैदल चलकर पाली रेलवे स्टेशन पहुंचा और प्लेटफॉर्म पर खड़ी एक ट्रेन में चुपचाप बैठ गया। उसके पास न टिकट था, न कोई प्लान। उसे बस घर से दूर जाना था। सबसे पहले वह 380 किलोमीटर दूर अहमदाबाद पहुंचा। वहां से प्लेटफॉर्म पर खड़ी दूसरी ट्रेन में चढ़ गया और मारवाड़ जंक्शन पहुंचा। वहां भी वह एक और ट्रेन में सवार हो गया, जो उसे करीब 600 किलोमीटर दूर हरियाणा के पानीपत ले गई।
भूख से बेहोश होकर गिरा, दो महिलाओं ने बचाया
18 जून की सुबह वह पानीपत स्टेशन पर उतरा और सड़क पर पैदल चलने लगा। दो दिन से भूखा था, कमजोरी से चक्कर खाकर गिर गया। संयोग से वहां से गुजर रही दो महिलाओं ने उसे देखा। पास जाकर पानी पिलाया, बात की, तब उसने बताया कि वह दो दिन से भूखा है। महिलाओं ने पास के ढाबे से चावल मंगाकर खिलाया।
कोल्ड ड्रिंक वाले से मांगी मदद, फोन पर रो पड़ी मां
महिलाएं उसे छोड़कर चली गईं। फिर वह वहीं पास में एक कोल्ड ड्रिंक के ठेले पर गया और दुकानदार से कहा, “मैं घर से बिना बताए आ गया हूं, प्लीज मम्मी-पापा से बात करा दो।” बच्चे ने पिता का मोबाइल नंबर बताया। दुकानदार ने पिता को कॉल किया। बच्चे की आवाज सुनते ही परिवार की सांसें लौटीं। पिता ने पानीपत पुलिस को सूचना देने के लिए कहा।
पाली पुलिस ने हरियाणा जाकर बच्चे को लाया
पाली सदर थाना में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज थी। पिता को बेटे के जिंदा होने की खबर मिली तो थाने में बताया गया। हेड कांस्टेबल भूंडाराम, कांस्टेबल हेमेन्द्र सिंह और पिता तुरंत हरियाणा के लिए रवाना हुए। पानीपत के सेक्टर 1713 थाने में बच्चा मिला। वहां की पुलिस ने औपचारिक कार्रवाई के बाद 19 जून को बच्चे को सौंपा। पिता और पुलिस टीम 20 जून को उसे लेकर पाली पहुंचे।
थाने में मां ने गले लगाया, फूट-फूटकर रोई
सदर थाने पहुंचते ही मां बेटे को देखकर फूट-फूटकर रो पड़ी। उसे गले से लगाया और रोते हुए कहा, “क्यों चला गया था? घर आ जाता तो डांट नहीं पड़ती। अगर कुछ हो जाता तो क्या करते?” दादा भी रो पड़े। पूरा परिवार भावुक हो गया।
बाल कल्याण समिति को सौंपा जाएगा बच्चा
सदर थाना प्रभारी शिवनारायण ने बताया कि बच्चे को बाल कल्याण समिति को सौंपा जाएगा। आवश्यक प्रक्रिया के बाद परिजनों को सुपुर्द किया जाएगा।
समाजसेवी गजेंद्र सिंह मंडली ने निभाई अहम भूमिका
इस पूरी घटना में पाली के समाजसेवी गजेंद्र सिंह मंडली ने परिवार के साथ मिलकर प्रशासन और पुलिस के सहयोग से बच्चे की वापसी में अहम भूमिका निभाई। परिजनों ने गजेंद्र सिंह और पुलिस का आभार जताया।
👉 ये घटना एक सीख भी देती है: बच्चों से संवाद बनाए रखना जरूरी है। डर और संकोच के कारण एक मासूम ने अपनी जान जोखिम में डाल दी। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को प्यार और विश्वास दें ताकि वे किसी भी स्थिति में घर लौटने से डरें नहीं।
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