✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा

पाली जिले के सोजत ब्लॉक के गुड़ा कला ग्राम पंचायत में आत्मा योजना अंतर्गत खरीफ पूर्व एक दिवसीय ब्लॉक स्तरीय कृषक गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन सहायक कृषि अधिकारी राजश्री श्रीमाली सोजत सिटी द्वारा किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में कृषकों ने भाग लिया।
🌾 किसानों को मिला वैज्ञानिक खेती का संदेश
कार्यक्रम में सहायक निदेशक कृषि विस्तार श्री शंकरलाल सोलंकी ने किसानों को मिट्टी की समय-समय पर जांच करवाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि मिट्टी की जांच के जरिए ही फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है।
💧 जल संरक्षण की ली गई शपथ
उपनिदेशक एवं पदेन परियोजना निर्देशक श्री प्रदीप छाजेड़ ने आत्मा योजना की जानकारी देते हुए “वंदे गंगा”, “बूंद-बूंद सिंचाई” और “खेत-तलाई” जैसी योजनाओं पर विशेष बल दिया। उन्होंने सभी किसानों को जल संरक्षण की शपथ भी दिलाई।
🌱 मृदा स्वास्थ्य, जैविक खेती और उद्यानिकी पर विशेष चर्चा
सहायक निदेशक श्री फुलाराम ने मृदा स्वास्थ्य एवं पोषक तत्व प्रबंधन की जानकारी साझा की। वहीं, सेवानिवृत्त सहायक कृषि अधिकारी श्री प्रहलाद सिंह ने प्राकृतिक और जैविक खेती के फायदों पर प्रकाश डाला।
सेवानिवृत्त अधिकारी श्री भगवान सिंह ने किसानों को उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया।
🧪 जैव उर्वरक, कीटनाशक और योजनाएं
कृषि अधिकारी रजनी सीरवी ने मृदा सुधार, जैव उर्वरक और जिप्सम के उपयोग की जानकारी दी। कृषि अधिकारी श्री रामलाल कुमावत ने कीटनाशकों के सुरक्षित एवं समुचित उपयोग की जानकारी किसानों को दी।
☀️ सौर ऊर्जा, ग्रीन हाउस और अनुदान योजनाएं
उद्यान विभाग से सहायक कृषि अधिकारी दिलीप सिंह लखावत ने सौर ऊर्जा आधारित खेती, मल्चिंग, ग्रीन हाउस, बागवानी और प्राकृतिक खेती प्रणाली के साथ-साथ उद्यान विभाग की अनुदान योजनाओं की जानकारी विस्तार से दी।
🙏 जनप्रतिनिधियों और किसानों की उपस्थिति
कार्यक्रम में सरपंच प्रतिनिधि श्री खेतू सिंह, उपसरपंच ओमनाथ, वार्ड पंच पूनम सिंह, केरनाथ, मूलाराम माली, अमरचंद माली, मिश्रीलाल सीरवी, पुकाराम सीरवी सहित हीरावास व आसपास के क्षेत्रों के किसान बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कृषि पर्यवेक्षक श्रीमती मनराज, श्रीमती भारती, गीता, मुस्कान सहित कृषि विभाग की टीम ने आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
यह गोष्ठी किसानों को उन्नत खेती, जल और मृदा संरक्षण तथा सरकारी योजनाओं से जोड़ने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास साबित हुई। कार्यक्रम से जुड़े किसानों ने इसे ज्ञानवर्धक और लाभकारी बताया।