वरिष्ठ पत्रकार चेतनजी व्यास की रिपोर्ट।
पुराणों एवं अन्य हिंदु धर्मग्रंथों में वर्णित 12 ज्योतिर्लिंगों में गुजरात के प्रभास पाटन क्षेत्र में भगवान सोमनाथ का ज्योतिर्लिंग सबसे पहला ज्योतिर्लिंग है अपनी धार्मिक सांस्कृतिक पर्यटन यात्रा के तहत सोजत के इतिहास प्रेमी चेतन व्यास द्वारा विभिन्न स्त्रोतों से संग्रहित जानकारी अनुसार एवं पुराणों में मिले वर्णन अनुसार चंद्रमा अपनी 27 रानियों में से रोहिणी से सबसे ज्यादा प्रेम करतें थे इस पर कुपित होकर दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को तेज खोने का शाप दिया जिस पर चंद्रमा बहुत दुखी हुए एवं शाप से मुक्ति के लिए वे ब्रह्मा के पास गए तब ब्रह्मा जी ने प्रभास पाटन क्षेत्र में शिव को प्रसन्न करने के लिए चंद्रमा को तपस्या करने की सलाह दी चंद्रमा ने ऐसा ही किया और त्रिवेणी के संगम में सरस्वती, कपिला एवं हिरण नामक नदी के तट पर शिवलिंग की स्थापना कर उसकी पुजा की सोम चंद्रमा का पर्याय वाची एवं नाथ का मतलब स्वामी होता है।

यानि चंद्रमा के स्वामी सोमनाथ ऐसा माना जाता है कि समुद्र तट पर स्थित सोमनाथ मंदिर को चार चरणों में भगवान सोम ने सोने से, रवि ने चांदी से, भगवान श्री कृष्ण ने चंदन से और राजा भीमदेव ने पत्थरों से बनवाया था. ऐसा भी माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर 649 इस्वी में बनवाया गया था। ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि 11वीं से 18वीं शताब्दी के दौरान कई मुस्लिम आक्रमणकारियों 1026 में महमूद गजनवी ने इस पर आक्रमण कर लाखों टन सोना लुटा एवं चंदन के द्वार अपने साथ अफगानिस्तान ले गया 1299 में उलुग बेग ने अलाउद्दीन खिलजी के कहने पर इस पर हमला कर लुटा एवं 1706 में औरंगजेब ने इस पर आक्रमण करवाया था ।
इस प्रकार कई बार हमला किया गया. हालांकि, लोगों के पुनर्निर्माण उत्साह से हर बार मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया.भारत के उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इसको नये सिरे से बनाने का प्रयास आरंभ किया एवं उनकी मृत्यु तक काफी बड़ा भाग निर्मित हो गया था बाद में तत्कालीन खाद्यमंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा इसे पूर्ण करवाया गया तथा डाक्टर राजेंद्र प्रसाद द्वारा इसे भारत की जनता को सौंपा गया 1951 से इसका प्रबंधन सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। इसके प्राकृतिक सौंदर्य एवं समुद्र से टकराती गर्जना करती लहरों के चलते शानदार नजारा देखते ही बनता हैं। हिंदु समाज में इस ज्योतिर्लिंग का बड़ा महत्व है इसके दर्शन से पापों से मुक्ति मिलती है एवं मन को शांति प्राप्त होती है। यहां पर्यटन से करोड़ों का राजस्व गुजरात सरकार को प्राप्त होता है तथा हजारों लोगों को रोजगार प्राप्त होता है।
महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया, अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतांत में गुजरात के वेरावल बंदर स्थित दस मंदिर का वर्णन किया था अन्य साक्ष्य भी हमले का वर्णन करते हैं। इसके पुनर्निमाण में भीमदेव, कुमार पाल, 1783 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा इस मंदिर के पास ही एक दुसरा सोमनाथ मंदिर बनवाया आदि के नाम प्रमुख है
