✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
कमर दर्द एक आम समस्या है, जो बदलती जीवनशैली, अनियमित दिनचर्या, और शारीरिक परिश्रम की कमी के कारण हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है। आयुर्वेद में, इस समस्या के समाधान के लिए कई प्रभावी और प्राकृतिक उपचार उपलब्ध हैं। यहां कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उपचार और उनके लाभ बताए गए हैं:
1. एरण्ड पाक का सेवन
विधि: एरण्ड पाक (10 ग्राम) को सुबह-शाम गर्म दूध या पानी के साथ लें।
लाभ: यह उपाय न केवल कमर दर्द (कटिशूल) में राहत देता है, बल्कि समस्त वात संबंधी रोगों का भी नाश करता है।
2. एरण्ड के बीज और दूध का मिश्रण
विधि: एरण्ड के बीज (5 ग्राम) को 200 ग्राम दूध में उबालें और सुबह-शाम सेवन करें।
लाभ: यह उपाय कटिवात और कटिशूल में आशानुसार लाभ पहुंचाता है।
3. योगराज गुग्गुल और त्रयोदशांग गुग्गुल
विधि: योगराज गुग्गुल और त्रयोदशांग गुग्गुल की 2-2 गोलियां सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लें।
लाभ: यह कमर दर्द में तुरंत राहत प्रदान करता है।
4. सुरंजन सीरी, अश्वगंधा और सौंठ का चूर्ण
विधि: इन सभी को समान भाग में मिलाकर चूर्ण तैयार करें। 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम गर्म पानी से सेवन करें।
लाभ: यह उपाय कमर दर्द को शांत करने में अत्यधिक प्रभावी है।
5. विधारा चूर्ण
विधि: विधारा चूर्ण (6 ग्राम) को गुनगुने दूध के साथ लें।
लाभ: यह कमर दर्द में तेजी से लाभ पहुंचाता है।
6. कैशोर गुग्गुल और गोक्षुरादि गुग्गुल
विधि: कैशोर गुग्गुल और गोक्षुरादि गुग्गुल की 2-2 गोलियां सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लें।
लाभ: यह उपाय कमर दर्द में प्रभावी राहत प्रदान करता है।
7. तेल मालिश का महत्व
उपयोगी तेल: नारायण तैल, महाविषगर्भ तैल, या पंचगुण तैल।
विधि: इनमें से किसी भी तेल से कमर की हल्की मालिश करें।
लाभ: तेल मालिश से न केवल कमर दर्द में राहत मिलती है, बल्कि यह मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है।
महिला स्वास्थ्य और कमर दर्द
जिन महिलाओं को श्वेत या रक्त प्रदर के कारण कमर दर्द होता है, उनके लिए विशेष उपचार आवश्यक है:
उपचार: श्वेत या रक्त प्रदर नाशक दवाओं के साथ वात संतुलनकारी चिकित्सा करें।
लाभ: इससे न केवल प्रदर की समस्या दूर होती है, बल्कि कमर दर्द भी खत्म होता है।
विशेष सलाह
इन आयुर्वेदिक उपचारों के साथ, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और तनाव प्रबंधन का पालन करें। यह कमर दर्द को स्थायी रूप से ठीक करने में मदद करेगा।
नोट: किसी भी औषधि का सेवन करने से पहले योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।