लेखक: ✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
नई दिल्ली/सोजत 17 दिसंबर:
केंद्र सरकार द्वारा लंबे समय से चर्चा में रहे ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़ा विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। यह संविधान संशोधन से जुड़ा 129वां विधेयक है, जिसे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
क्या है विधेयक का उद्देश्य?
वन नेशन, वन इलेक्शन का मुख्य उद्देश्य देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को एक साथ कराना है। इससे न केवल चुनावी खर्चों में कटौती होगी, बल्कि बार-बार चुनाव होने से प्रशासनिक कामकाज में बाधा भी कम होगी।
केंद्रीय कानून मंत्री ने लोकसभा में दो विधेयक पेश किए:
1. संविधान संशोधन विधेयक: जिसमें लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का प्रावधान है।
2. केंद्र शासित प्रदेश संशोधन विधेयक: जो दिल्ली और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के चुनावों में समान बदलाव के लिए है।
सरकार ने इस विधेयक पर चर्चा के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने की सिफारिश की है।
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कैसे होगा विधेयक पर काम?
इस विधेयक पर चर्चा के लिए सबसे पहले जेपीसी का गठन होगा।
जेपीसी का गठन: इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
अध्यक्षता: यह जिम्मेदारी सबसे बड़े दल (भाजपा) को मिलने की संभावना है।
रिपोर्ट: सभी दलों की राय और चर्चा के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंपेगी।
संसदीय प्रक्रिया: यदि जेपीसी से मंजूरी मिल जाती है, तो विधेयक को संसद में पारित कराने की प्रक्रिया शुरू होगी।
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विधेयक पारित करने की चुनौती
संविधान संशोधन से जुड़े विधेयक को पास कराने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
लोकसभा: 543 सीटों में से 362 का समर्थन चाहिए।
राज्यसभा: 231 सदस्यों में से 154 का समर्थन आवश्यक है।
वर्तमान में लोकसभा और राज्यसभा में भाजपा और सहयोगी दलों (एनडीए) के पास बहुमत है, लेकिन विपक्षी गठबंधन इंडिया अलायंस के विरोध से इसे पास कराना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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*वन नेशन, वन इलेक्शन की शुरुआत*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पहली बार ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की अवधारणा पर चर्चा की थी।
2015: लॉ कमीशन ने इसे लागू करने की सिफारिश की।
2019: प्रधानमंत्री ने इस पर सभी दलों के साथ विचार-विमर्श के लिए बैठक बुलाई।
2023: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई, जिसने 18,626 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब इसे संसद में पेश किया गया है।
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*रामनाथ कोविंद समिति की मुख्य सिफारिशें*
1. लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं।
2. राष्ट्रपति शासन या अन्य संवैधानिक प्रावधानों के तहत आवश्यक बदलाव किए जाएं।
3. संसदीय चुनावों के लिए एक समन्वित तंत्र बनाया जाए।
4. चुनाव आयोग को अधिक स्वायत्तता और अधिकार दिए जाएं।
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वन नेशन, वन इलेक्शन का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश की विकास प्रक्रिया को तेज करने वाला कदम बताया।
फायदे:
चुनावी खर्च में कमी।
बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों में बाधा नहीं होगी।
प्रशासनिक और संसाधनों की बचत।
चुनौतियां:
सभी दलों की सहमति बनाना।
संवैधानिक और प्रशासनिक ढांचे में बड़े बदलाव करना।
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आगे का रास्ता
विधेयक पर चर्चा और संशोधन के बाद इसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। यदि यह पारित हो गया, तो भारत में चुनावी प्रक्रिया का ढांचा पूरी तरह बदल सकता है।