जोधपुर।
जोधपुर फैमिली कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि पत्नी यदि कमाती है, तो भी वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार हो सकती है। यह आदेश फैमिली कोर्ट के जज दलपत सिंह राजपुरोहित ने दिया। कोर्ट ने पति की आय और सामाजिक स्थिति के आधार पर यह निर्देश दिया कि वह अपनी सरकारी टीचर पत्नी को हर महीने 2 लाख रुपये का भरण-पोषण देगा।
फैसले का आधार
पत्नी के वकील नागराज गोस्वामी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर यह निर्णय लिया गया। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, यदि पत्नी कामकाजी है, तब भी वह अपने पति से भरण-पोषण की हकदार हो सकती है। कोर्ट ने आदेश दिया कि पति 1 लाख रुपये पत्नी के लिए और 50-50 हजार रुपये उनके दो बेटों के बालिग होने तक हर महीने देगा।
घरेलू हिंसा और अन्य महिलाएं बनीं विवाद का कारण
2019 में सरकारी टीचर ने फैमिली कोर्ट में भरण-पोषण का दावा दायर किया था। उनके वकील ने बताया कि शादी 1999 में हुई थी। विवाह के बाद से ही पति पत्नी के साथ घरेलू हिंसा करता था। इसके बावजूद पत्नी ने अपने परिवार को बचाने का प्रयास किया। इस दौरान उनके दो बेटे हुए, जिनकी उम्र अब 17 और 12 साल है।
सरकारी टीचर के अनुसार, उनका पति शादीशुदा होते हुए भी अन्य महिलाओं के साथ रिश्ते में था। उनके बड़े बेटे ने खुद पिता को एक महिला के साथ देखा था और कोर्ट में इसके खिलाफ बयान दिया। पति ने बाद में पत्नी और बच्चों को घर से निकाल दिया।
पति की मासिक आय 7 लाख, पत्नी है ग्रेड थर्ड टीचर
पत्नी के वकील ने कोर्ट में पति के 10 शहरों में चल रहे बिजनेस के दस्तावेज प्रस्तुत किए। पति का दावा है कि वह घर-घर जाकर एक्यूप्रेशर मशीन बेचता है, जबकि उसकी मासिक आय 7 लाख रुपये से अधिक है। वहीं, पत्नी एक सरकारी ग्रेड थर्ड टीचर है और उसकी आय पति की तुलना में बेहद कम है।
क्या है गुजारा भत्ता?
गुजारा भत्ता वह धनराशि है जो पति या अन्य परिजन जरूरतमंद सदस्य को उसकी आजीविका के लिए प्रदान करते हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 के तहत माता-पिता, संतान और पति-पत्नी मासिक भरण-पोषण के लिए प्रार्थना पत्र दायर कर सकते हैं।
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत तलाक, विवाह शून्य कराने या वैवाहिक जीवन बहाल करने की याचिका के दौरान भी पत्नी गुजारा भत्ता मांग सकती है।
महत्वपूर्ण निष्कर्ष
यह मामला केवल पति-पत्नी के रिश्ते का नहीं, बल्कि कानून में महिलाओं को दिए गए अधिकारों और उनकी सुरक्षा का भी है। जोधपुर फैमिली कोर्ट का यह फैसला महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगा।