चार दशकों में पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री का कुवैत दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21-22 दिसंबर को कुवैत की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं। यह यात्रा खाड़ी क्षेत्र में भारत की कूटनीतिक पहुंच को और गहरा करने का एक ऐतिहासिक अवसर साबित होगी। यह चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला कुवैत दौरा है। पिछली बार 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुवैत का दौरा किया था। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई तक ले जाना और क्षेत्रीय स्थिरता व सहयोग को बढ़ावा देना है।
इतिहास में कुवैत और भारत के करीबी संबंध
कुवैत और भारत के संबंध ऐतिहासिक रूप से बेहद गहरे रहे हैं। 1961 तक कुवैत में भारतीय रुपया चलता था। उस समय तेल की खोज नहीं हुई थी, लेकिन समुद्री व्यापार के जरिए दोनों देशों के बीच मज़बूत कारोबारी रिश्ते स्थापित हो चुके थे। 1961 में ही दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए।
कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल याह्या ने हाल ही में भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को कुवैत आने का न्योता दिया था। इससे पहले भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 2009 में कुवैत का दौरा किया था।

पीएम मोदी की कुवैत यात्रा: कुवैत यात्रा से पीएम मोदी बनाएंगे भारत-अरब रिश्तों को और मजबूत, जानिए क्यों!
पीएम मोदी की गल्फ डिप्लोमेसी और अरब देशों से मज़बूत होते रिश्ते
प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत और खाड़ी देशों के बीच संबंधों को नई मजबूती मिली है। पीएम मोदी अब तक सात बार संयुक्त अरब अमीरात, दो-दो बार सऊदी अरब और कतर, और एक-एक बार बहरीन और ओमान का दौरा कर चुके हैं। कुवैत की यह यात्रा खाड़ी देशों के साथ भारत के बढ़ते सहयोग को और गहरा करेगी।
कुवैत यात्रा के खास उद्देश्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुवैत यात्रा के दौरान ऊर्जा सुरक्षा, व्यापारिक सहयोग, और प्रवासी भारतीयों के मुद्दों पर चर्चा होगी। कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है और दोनों देशों के बीच 2023-24 में 10.47 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी और ऊर्जा सहयोग को और बढ़ावा देने के लिए नई योजनाओं पर विचार किया जाएगा।
कुवैत में भारतीय समुदाय की बड़ी भूमिका
कुवैत में करीब 10 लाख भारतीय रहते हैं, जो वहां के समाज और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये प्रवासी भारतीय सालाना 4.7 अरब डॉलर भारत भेजते हैं, जो भारत को मिलने वाले कुल रेमिटेंस का 6.7% है। कुवैत ने भारत में 10 अरब डॉलर का निवेश भी किया है। पीएम मोदी इस यात्रा के दौरान भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे।
भारत और अरब देशों के रिश्तों की खास वजहें
1. ऊर्जा सुरक्षा और व्यापारिक सहयोग
भारत अपनी तेल जरूरतों का बड़ा हिस्सा मध्य पूर्व के देशों से पूरा करता है। अकेले कुवैत भारत की तीन प्रतिशत तेल ज़रूरतों को पूरा करता है। सऊदी अरब, यूएई, कतर और कुवैत जैसे देशों के साथ ऊर्जा सहयोग को मज़बूत करने के लिए भारत लगातार प्रयासरत है।
2. हिंद महासागर में सामरिक महत्व
अरब देशों की सामरिक स्थिति और हिंद महासागर क्षेत्र में उनकी भूमिका भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। इसके तहत भारत ने अरब देशों के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को भी प्राथमिकता दी है।
3. आतंकवाद और सुरक्षा चुनौतियां
भारत और खाड़ी देश साझा सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग कर रहे हैं। भारत ने इन देशों के साथ खुफिया जानकारी साझा करने और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर सहयोग को प्राथमिकता दी है।
4. पाकिस्तान का कमजोर प्रभाव
पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान की वैश्विक स्थिति कमजोर हुई है। अरब देशों ने भारत को एक बड़े बाजार और भरोसेमंद सहयोगी के रूप में स्वीकार किया है, जिससे भारत के साथ उनके संबंध और मजबूत हुए हैं।
भविष्य की दिशा
प्रधानमंत्री मोदी की कुवैत यात्रा भारत और अरब देशों के रिश्तों में एक और मील का पत्थर साबित होगी। ऊर्जा, व्यापार, और प्रवासी भारतीयों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के साथ-साथ यह यात्रा क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग के लिए भी महत्वपूर्ण होगी।
इस यात्रा से भारत की खाड़ी कूटनीति और मजबूत होगी और दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक साझेदारी को नई ऊंचाई मिलेगी।