बाड़मेर: भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस 11 अगस्त 2019 से बंद पड़ी है। यह ट्रेन भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती का प्रतीक मानी जाती थी, लेकिन अब दोनों देशों की आपसी कड़वाहट के कारण इस मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस रेल मार्ग को 125 साल पहले 12 दिसंबर 1900 को जोधपुर-कराची के बीच शुरू किया गया था। उस समय तक यह रेलमार्ग व्यापार और लोगों के आवागमन के लिए महत्वपूर्ण था। हालांकि, आज 125 साल बाद भी इस मार्ग पर रेल पटरियां बिछी हुई हैं, लेकिन रेल का आवागमन पूरी तरह से ठप है।
125 साल पहले बिछी थी जोधपुर-कराची रेल लाइन
भारत और पाकिस्तान के बीच इस ऐतिहासिक रेल मार्ग का इतिहास बेहद रोचक है। 22 दिसंबर 1900 को जोधपुर के तत्कालीन महाराजा सरदार सिंह के सुझाव पर जोधपुर से कराची तक रेलमार्ग को बिछाया गया था। यह रेल मार्ग दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। उस समय इस मार्ग से व्यापारियों और नागरिकों को आवागमन में सुविधा होती थी, और यह रेलमार्ग दोनों देशों के लोगों के लिए भी एक तरह से जीवन रेखा की तरह था।
हालांकि, भारत और पाकिस्तान के विभाजन और बाद में 1965 के युद्ध ने इस रेल मार्ग की सवारी और उपयोगिता को पूरी तरह से बदल दिया। युद्ध के दौरान इस मार्ग की पटरियां उखाड़ दी गईं और इस रेल का संचालन बंद कर दिया गया।
1965 के बाद 41 साल तक बंद रही रेल सेवा
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1965 के युद्ध के बाद इस रेल मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। 41 वर्षों तक इस मार्ग पर कोई ट्रेन नहीं चली और यह रेल पटरियां जंग खा कर ख़राब हो गईं। इसके बाद, 2006 में दोनों देशों के बीच शांति की कोशिशों के तहत थार एक्सप्रेस को फिर से शुरू किया गया। यह ट्रेन पाकिस्तान के कराची और भारत के जोधपुर के बीच चलने लगी।
18 फरवरी 2006 को दोनों देशों के बीच समझौते के बाद यह ट्रेन फिर से चालू की गई, और इसके जरिए हजारों लोग दोनों देशों के बीच यात्रा करते थे। इस ट्रेन ने एक नई उम्मीद की किरण जगाई थी, खासकर उन लोगों के लिए जो भारत और पाकिस्तान के बीच बिछड़े हुए थे और जो इस रेल सेवा को एक सांस्कृतिक और रिश्ते की पुनःस्थापना के रूप में देखते थे।
पुलवामा हमले के बाद बंद हुआ थार एक्सप्रेस
हालांकि, इस ट्रेन का संचालन 10 अगस्त 2019 तक चलता रहा, लेकिन पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव आ गया और इस ट्रेन का संचालन रोक दिया गया। इसके बाद से ही थार एक्सप्रेस दोनों देशों के बीच कटी हुई उम्मीदों का प्रतीक बन गई है।
साल 2019 में इस ट्रेन के बंद होने से न सिर्फ व्यापारिक रिश्ते प्रभावित हुए, बल्कि लाखों शरणार्थियों के लिए भी यह ट्रेन महत्वपूर्ण थी। पाकिस्तान से आए शरणार्थी इस ट्रेन के जरिए भारत पहुंचे थे, और उनके लिए यह एक कड़ी थी, जिससे वे अपनी पुरानी ज़मीन, रिश्तेदारों और अपने अतीत से जुड़े हुए थे।
थार एक्सप्रेस फिर से शुरू करने की मांग
बाड़मेर जिले में पाकिस्तान विस्थापित संघ के जिलाध्यक्ष नरपत सिंह धारा ने इस रेल मार्ग को फिर से शुरू करने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि “हिंद और सिंध के बीच रोटी-बेटी का नाता है,” और थार एक्सप्रेस के बंद होने से दोनों देशों के बीच रिश्तों में कड़वाहट आ गई है। उन्होंने यह भी कहा कि “दोस्ती की सौगात थार एक्सप्रेस को फिर से शुरू किया जाए, जिससे दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हो सकें।”
थार एक्सप्रेस सिर्फ एक ट्रेन नहीं थी, बल्कि यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और पारिवारिक रिश्तों का सेतु भी थी। पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए यह ट्रेन एक जीवन रेखा थी, क्योंकि इस ट्रेन के माध्यम से वे अपने रिश्तेदारों से मिल सकते थे।
इसके अलावा, इस ट्रेन के माध्यम से भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंधों को भी बढ़ावा मिलता था। कई भारतीय व्यापारी और कारीगर पाकिस्तान से सामान लाकर भारत में बेचते थे। यह ट्रेन भारत-पाक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम थी, लेकिन अब इसके बंद होने से दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को बड़ा नुकसान हुआ है।
भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार की संभावना
भारत और पाकिस्तान के बीच कई मुद्दों पर विवाद है, और इन विवादों के कारण थार एक्सप्रेस जैसी रेल सेवा बंद हो गई है। लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि भारत और पाकिस्तान के लोग एक दूसरे के साथ गहरे सांस्कृतिक और पारिवारिक रिश्तों में बंधे हुए हैं। यह जरूरी नहीं कि दोनों देशों के बीच सभी विवादों को सुलझाने के लिए युद्ध या अन्य कठोर कदम उठाए जाएं। बल्कि, दोनों देशों के नेताओं को अपने रिश्तों को सुधारने के लिए संवाद और समझौतों की ओर बढ़ना चाहिए, ताकि थार एक्सप्रेस जैसी सेवा फिर से शुरू हो सके और दोनों देशों के नागरिकों को एक-दूसरे से मिलने का मौका मिले।