राजस्थान के अनूपगढ़ तहसील के गांव 11 जोईयावाली में वन विभाग की टीम की कार्रवाई के खिलाफ गुरुवार देर रात ग्रामीणों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि ग्रामीणों ने वनपाल राजीव बिश्नोई को उनकी ही गाड़ी में बंधक बना लिया। पूरे घटनाक्रम के बाद पुलिस और वन्यजीव प्रेमियों के हस्तक्षेप से स्थिति को नियंत्रित किया गया।
घटना की शुरुआत: मांस बरामदगी पर कार्रवाई
गुरुवार शाम को वन विभाग को सूचना मिली कि 11 जोईयावाली गांव में रामकिशन पुत्र तेजाराम के घर में अवैध रूप से सूअर का मांस छुपाया गया है। सूचना पर क्षेत्रीय वन अधिकारी पंकज लुनीवाल के नेतृत्व में सहायक वनपाल विजेंद्र कुमार मीणा, सहायक वनपाल संदीप कौर, वनरक्षक बजरंग लाल, वनरक्षक राधेश्याम गुर्जर और जीव रक्षा समिति के अध्यक्ष मुकेश बिश्नोई की टीम ने मौके पर दबिश दी।
कार्रवाई के दौरान टीम ने तीन व्यक्तियों को मांस के साथ राउंडअप किया और उन्हें पूछताछ के लिए ले जाया गया। पूछताछ में तीनों ने स्वीकार किया कि गांव के अन्य स्थानों पर भी मांस छुपाया गया है और इस अवैध शिकार में कई अन्य लोग शामिल हैं। इसके आधार पर वन विभाग की टीम ने गांव में दोबारा दबिश दी।

वन विभाग की कार्रवाई पर ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन, वनपाल को बनाया बंधक
ग्रामीणों का गुस्सा और वनपाल को बंधक बनाना
वन विभाग की टीम जब दूसरी बार गांव पहुंची तो ग्रामीणों में गुस्सा भड़क गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वन विभाग ने बेवजह घर-घर जाकर सर्च किया, जिससे महिलाएं और परिवारजन परेशान हुए। इस दौरान गांव में सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।
हालात तब बिगड़े जब वनपाल राजीव बिश्नोई अपनी गाड़ी में ही बैठ गए और अन्य गाड़ियां गांव से रवाना हो गईं। ग्रामीणों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया और उन्हें बंधक बना लिया। गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग की कार्रवाई को अनुचित बताते हुए टीम पर प्रताड़ना का आरोप लगाया।
पुलिस और वन्यजीव प्रेमियों का हस्तक्षेप
वनपाल के बंधक बनाए जाने की सूचना मिलते ही जैतसर पुलिस टीम मौके पर पहुंची। थानाधिकारी इमरान खान ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की। इसके साथ ही श्री विजयनगर, रामसिंहपुर और रायसिंहनगर से अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाया गया।
घटनास्थल पर 200 से अधिक वन्यजीव प्रेमी भी पहुंचे और उन्होंने आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की। देर रात तक स्थिति तनावपूर्ण बनी रही, लेकिन पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों के संयुक्त प्रयासों से ग्रामीणों को समझा-बुझाकर वनपाल राजीव बिश्नोई को मुक्त कराया गया।
ग्रामीणों के आरोप और वन विभाग की प्रतिक्रिया
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की टीम ने उनके घरों में बिना किसी ठोस कारण के तलाशी ली, जिससे उनकी निजता का उल्लंघन हुआ। वहीं, वन विभाग का दावा है कि कार्रवाई पूरी तरह से सटीक सूचना पर आधारित थी और अवैध शिकार में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन जरूरी था।
स्थिति पर नियंत्रण
घटना के बाद गांव में तनावपूर्ण माहौल बना रहा। हालांकि, पुलिस की तैनाती के चलते स्थिति अब नियंत्रण में है। पुलिस और वन विभाग की टीमें फिलहाल गांव में मौजूद हैं और शांति बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।
वन्यजीव संरक्षण और कानून व्यवस्था पर सवाल
यह घटना वन्यजीव संरक्षण के महत्व और ग्रामीणों के अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने की चुनौती को उजागर करती है। वन्यजीव प्रेमियों ने वन विभाग की कार्रवाई का समर्थन करते हुए दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने की मांग की है। दूसरी ओर, ग्रामीणों ने विभाग से उनके अधिकारों और गरिमा का सम्मान करने की अपील की है।
निष्कर्ष
अनूपगढ़ की यह घटना प्रशासन और ग्रामीणों के बीच विश्वास की कमी और वन्यजीव संरक्षण के लिए सख्त कार्रवाई के बीच टकराव को दर्शाती है। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए विभाग को ग्रामीण समुदाय के साथ बेहतर संवाद स्थापित करना होगा। फिलहाल, पूरे क्षेत्र में स्थिति सामान्य बनी हुई है, लेकिन यह घटना वन विभाग और प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण सबक साबित हो सकती है।