नए साल 2025 की शुरुआत के साथ ही भारत के गणतंत्र दिवस समारोह को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। 26 जनवरी परेड में हर साल किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है। इस बार चर्चा है कि भारत की “लुक ईस्ट पॉलिसी” को और मजबूत करते हुए इंडोनेशिया के नए राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो इस बार के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि हो सकते हैं।

गणतंत्र दिवस 2025: दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश की सेना परेड में लेगी हिस्सा?
कौन हैं प्रबोवो सुबियांतो?
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो अक्टूबर 2024 में राष्ट्रपति पद की शपथ ले चुके हैं। पूर्व सैन्य कमांडर और राजनेता प्रबोवो अपने देश में एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। सुबियांतो ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। नवंबर 2024 में ब्राजील में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर को “फेमस” कहकर सुर्खियां बटोरी थीं। इस वाकये का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें प्रबोवो ने जयशंकर से हाथ मिलाते ही कहा, “मैं आपको जानता हूं, आप बहुत फेमस हैं।” उनकी इस टिप्पणी ने भारत और इंडोनेशिया के गर्मजोशी भरे संबंधों को और उजागर किया।
भारत-इंडोनेशिया के संबंधों में नया अध्याय
इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश है और भारत के लिए रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। व्यापार, रक्षा, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में भी भारत और इंडोनेशिया ने हाल के वर्षों में घनिष्ठता दिखाई है।
राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के संभावित आगमन से इन संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है। खबरों के मुताबिक, इंडोनेशिया भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। अगर यह सौदा होता है तो यह भारत की रक्षा निर्यात क्षमताओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
गणतंत्र दिवस परेड में इंडोनेशियाई सेना की भागीदारी?
गणतंत्र दिवस परेड की परंपरा के अनुसार, मुख्य अतिथि के साथ उस देश की सेना का एक दल भी परेड में हिस्सा लेता है। अगर राष्ट्रपति प्रबोवो गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि बनते हैं, तो नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर इंडोनेशियाई सेना की झलक देखने को मिल सकती है।
यह पहली बार नहीं होगा जब किसी विदेशी सेना ने भारतीय गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया हो। इससे पहले फ्रांस, मिस्र, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम जैसे देशों की सेनाएं भी इस कार्यक्रम में शामिल हो चुकी हैं। यह परंपरा न केवल भारत की सैन्य और कूटनीतिक शक्ति को प्रदर्शित करती है, बल्कि अन्य देशों के साथ मजबूत संबंधों का प्रतीक भी है।
लुक ईस्ट पॉलिसी को बल
भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना है। इंडोनेशिया, जो इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण देश है, भारत की इस नीति में एक अहम भागीदार है।
राष्ट्रपति प्रबोवो के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने से दोनों देशों के बीच सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की संभावना है। रक्षा, व्यापार, समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में संयुक्त प्रयासों को गति मिल सकती है।
घोषणा का इंतजार
यह संभावना जताई जा रही है कि अगले एक सप्ताह में गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि की आधिकारिक घोषणा हो जाएगी। इसके बाद इंडोनेशिया की सेना का एक दल अभ्यास के लिए दिल्ली पहुंचेगा। भारतीय सेना के साथ उनका यह सहयोग, दोनों देशों की रक्षा साझेदारी को और मजबूती प्रदान करेगा।
पिछले वर्षों के मुख्य अतिथि
गणतंत्र दिवस परेड में पिछले वर्षों में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी, ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और वियतनाम के राष्ट्रपति गुयेन फु ट्रोंग जैसे विशिष्ट अतिथि शिरकत कर चुके हैं।