हॉर्न बजाने से शुरू हुआ विवाद
महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पलाधी गांव में एक मामूली घटना ने बड़े विवाद का रूप ले लिया। बीती रात दो गुटों के बीच हॉर्न बजाने को लेकर झगड़ा हुआ, जो धीरे-धीरे हिंसक टकराव में बदल गया। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब शिवसेना मंत्री गुलाबराव पाटिल के परिवार को ले जा रहे वाहन चालक ने सड़क पर हॉर्न बजाया। इसके बाद वहां मौजूद लोग नाराज हो गए और कहासुनी शुरू हो गई।
यह मामूली कहासुनी मंगलवार रात करीब साढ़े नौ बजे झगड़े में बदल गई। देखते ही देखते बात मारपीट, पथराव और आगजनी तक पहुंच गई। इस घटना ने पलाधी गांव में तनावपूर्ण माहौल पैदा कर दिया, जिससे प्रशासन को तत्काल कदम उठाने पड़े।

जलगांव में हॉर्न बजाने पर बवाल: पथराव और आगजनी के बाद कर्फ्यू लागू
आगजनी और पथराव से गांव में अफरा-तफरी
घटना के दौरान गुस्साई भीड़ ने कई वाहनों और दुकानों को निशाना बनाया। कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया, जिससे चारों ओर हड़कंप मच गया। दुकानों पर भी पथराव किया गया, जिससे काफी संपत्ति को नुकसान पहुंचा। घटना के बाद गांव में हालात बिगड़ने लगे और प्रशासन को तत्काल कर्फ्यू लागू करना पड़ा।
जलगांव पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया। पुलिस ने बताया कि 20-25 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है और अब तक 10 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
कर्फ्यू और पुलिस का एक्शन प्लान
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने एहतियातन कर्फ्यू लगा दिया। जलगांव की एएसपी कविता नेरकर ने बताया कि गांव में शांति बनाए रखने के लिए सभी संवेदनशील जगहों पर पुलिस तैनात कर दी गई है। बुधवार शाम तक के लिए कर्फ्यू जारी रहेगा।
उन्होंने कहा, “हमने गांव वालों से अपील की है कि वे कानून का पालन करें और किसी भी प्रकार की अवांछित गतिविधियों से बचें। यदि किसी ने कानून तोड़ा, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
पलाधी गांव में हालात काबू में, लेकिन सतर्कता बरकरार
फिलहाल गांव में शांति है, लेकिन स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस हर गतिविधि पर नजर रख रही है। प्रशासन का कहना है कि घटना के जिम्मेदार लोगों को जल्द ही न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा।
पहले भी हुई हैं ऐसी घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब महाराष्ट्र में इस तरह की घटना सामने आई है। इससे पहले परभणी शहर में हिंसा भड़क गई थी, जब जिलाधिकारी कार्यालय के सामने बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान की प्रति फाड़ दी गई थी। इस घटना के बाद पूरे इलाके में पथराव और हिंसा हुई थी।