✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
चित्तौड़गढ़। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार उपखंड के सालेरा स्कूल में सामने आया अश्लील हरकतों का मामला पूरे प्रदेश को शर्मसार कर गया। एक वायरल वीडियो के कारण सरकारी स्कूल के संस्था प्रधान और एक महिला शिक्षिका को राजकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
कैसे हुआ मामला उजागर
18 जनवरी को सालेरा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के संस्था प्रधान व शिक्षक नेता अरविंद नाथ व्यास और एक महिला शिक्षिका का अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो संस्था प्रधान के कक्ष का बताया जा रहा है। जैसे ही यह वीडियो सार्वजनिक हुआ, पूरे शिक्षण क्षेत्र में हड़कंप मच गया।
सरकार ने लिया सख्त एक्शन
घटना के उजागर होते ही जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) राजेंद्र कुमार शर्मा ने तत्काल प्रभाव से दोनों को निलंबित कर दिया। इसके बाद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए। जांच के बाद दोनों को राजकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
शिक्षण क्षेत्र में मचा हड़कंप
यह मामला सामने आने के बाद अभिभावकों और छात्रों में रोष व्याप्त है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों द्वारा इस प्रकार की हरकतों ने शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए न केवल संबंधित शिक्षकों को बर्खास्त किया, बल्कि मामले की जांच के लिए विशेष समिति का गठन भी किया है। यह समिति यह भी देखेगी कि विद्यालय में अनुशासनहीनता के अन्य मामले तो नहीं हैं।
शिक्षा मंत्री का बयान
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा, “इस प्रकार की घटनाएं शिक्षण क्षेत्र की मर्यादा को ठेस पहुंचाती हैं। सरकार ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। छात्रों के लिए एक सुरक्षित और अनुशासित माहौल प्रदान करना हमारी प्राथमिकता है।”
स्कूल प्रशासन की चुप्पी
स्कूल प्रशासन ने इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इस घटना से स्कूल के अन्य शिक्षक और कर्मचारी भी गहरे सदमे में हैं।
समाज में नाराजगी
इस घटना ने पूरे समाज को झकझोर दिया है। अभिभावकों ने इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम बनाने की मांग की है। बच्चों की शिक्षा और नैतिक मूल्यों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर अभिभावकों ने अपनी चिंता व्यक्त की है।
सरकारी स्कूलों में अनुशासन और नैतिकता बनाए रखने के लिए यह मामला एक चेतावनी है। सरकार और शिक्षा विभाग को ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। यह घटना यह भी बताती है कि शिक्षकों को अपने आचरण और जिम्मेदारियों के प्रति सतर्क रहना चाहिए।