*बैरागी की पांच राजस्थानी पुस्तकों का हुआ लोकार्पण*
*वर्तमान समय हाड़ौती अंचल की राजस्थानी भाषा का गौरव काल –जितेन्द्र निर्मोही*
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही
कोटा (राजस्थान) वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि वर्तमान समय हाड़ौती अंचल की राजस्थानी भाषा साहित्य के लिए गौरव काल है।इस समय हाड़ौती अंचल से मूल्यपरक सृजन सामने आ रहा है। राजस्थानी भाषा का समकालीन काव्य किसी भी तरह से हिंदी समकालीन काव्य से कम नहीं है।अब इस अंचल के साहित्य पर भी खुलकर बात हो रही है।यह वक्तव्य उन्होंने दुर्गा शंकर बैरागी ” वैष्णव” की पांच कृतियों के लोकार्पण समारोह दिया। समारोह में वैष्णव की राजस्थानी भाषा की पांच दोहा कृतियों ‘सरद सोवणी रात,गांव की गुलमोहर,छूट गयो बैराग, घणी दुख्यारी नार, और वेद व्यास की मे’र का लोकार्पण किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि मुकुट मणिराज विशिष्ट अतिथि डॉ अनिता वर्मा और जगदीश भारती ढोटी थे। मुख्य वक्ता विजय जोशी ने कहा कि इन कृतियों में हाड़ौती अंचल की राजस्थानी भाषा की रमक दिखाई देती है।इस साहित्य में हाड़ौती अंचल के वह शब्द भी है जो आजकल सामन्य प्रचलन से बाहर हो गये। पांचों कृतियों में भाषा माधुर्य दिखाई देता है। समारोह का संचालन जोधराज मधुकर ने किया।
समारोह का प्रारंभ रुप जी रुप की सरस्वती वंदना से हुआ। समारोह में काव्यांजलि प्रकाशन के प्रकाशक नवीन गौतम व कृतियों पर भूमिकाकार साहित्यकारों मे हिन्दी और राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार देवकी दर्पण जगदीश भारती योगेश यथार्थ सत्येंद्र वर्मा का माला शाॅल अंग वस्त्र से सम्मान किया गया। कवि दुर्गा शंकर बैरागी वैष्णव का सम्मान बैरागी समाज और कोटा महानगर की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा किया गया। समारोह में राजेंद्र पंवार, डॉ कृष्णा कुमारी, भगवती प्रसाद गौतम, रामेश्वर शर्मा रामू भैया,विष्णु शर्मा हरिहर योगीराज योगी सी एल साँखला चोथमल प्रजापती गोरस प्रचण्ड आर सी आदित्य बाबू बंजारा नन्द सिंह पंवार बद्री लाल दिव्य, महेश पंचौली, तेजकरण यादव सुमित विजय सुरेश पंडित नाथूलाल मेघवाल रमेश रसिक गरिमा गौतम, रेणुका सिंह राधे, आर सी आदित्य, चौथमल सनाढ्य आदि उपस्थित रहे।