कोटा (राजस्थान): राजस्थान के कोटा में एक ऐसे साइबर क्राइम का मामला सामने आया है, जिसने पुलिस और जनता दोनों को चौंका दिया है। महज 10वीं पास एक युवक और उसके तीन साथियों ने मिलकर चीन के साइबर अपराधियों के साथ मिलकर लगभग 50 करोड़ रुपये की ठगी की है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस स्कैम को अंजाम देने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड केवल 10वीं पास था, लेकिन उसने अपनी चतुराई से बड़ी रकम का घोटाला किया। इस पूरे ऑपरेशन में आरोपी ने भारतीय मुद्रा को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर उसे चीन भेज दिया। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है।

Rajasthan Crime: कोटा के 10वीं पास युवक ने चीन के साइबर अपराधियों के साथ मिलकर 50 करोड़ रुपये का स्कैम किया, पुलिस ने दबोचा
कैसे हुआ स्कैम:
कोटा पुलिस के साइबर क्राइम यूनिट के प्रभारी विनोद कुमार ने जानकारी दी कि यह धोखाधड़ी का मामला जनवरी 2023 में सामने आया। इस मामले में चार आरोपी पकड़े गए हैं: अक्षय कुमार, राकेश, रामदीन और भोम सिंह। यह सभी आरोपियों ने चीन के साइबर ठगों के साथ मिलकर एक बड़े पैमाने पर धनराशि की धोखाधड़ी की। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे दूसरे खातों से पैसे ट्रांसफर कर क्रिप्टोकरेंसी में बदलते थे और फिर उसे चीन के अपराधियों को भेज देते थे।
गिरोह का मास्टरमाइंड – 10वीं पास युवक
सर्वाधिक चौंकाने वाली बात यह थी कि इस बड़े साइबर क्राइम का मास्टरमाइंड एक 10वीं पास युवक था। इसके बावजूद इस युवक ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपनी चतुराई से 50 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया। गिरोह के सदस्य पहले बैंकों से पैसे एकत्र करते, फिर उसे डिजिटल मुद्रा (क्रिप्टो) में बदलते, और बाद में उसे चीन भेज देते थे। इसके बदले में उन्हें हर लेन-देन पर 15 से 20 प्रतिशत का कमीशन मिलता था। इस तरीके से यह गिरोह पिछले 7 महीनों में करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका था।
स्क्रीनशॉट्स और बैंक अकाउंट की जांच में खुलासा:
पुलिस को जब आरोपियों के मोबाइल की जांच की गई, तो कई महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई। पुलिस को 11,000 से ज्यादा स्क्रीनशॉट मिले, जो लेन-देन से संबंधित थे। इन स्क्रीनशॉट्स के जरिए पुलिस को 30 से 40 बैंक अकाउंट की जानकारी मिली। इन बैंक खातों के माध्यम से आरोपी चुराए गए पैसों को क्रिप्टोकरेंसी में बदलते और फिर उसे चीन भेजते थे। पुलिस ने इन सभी खातों के मालिकों की जानकारी जुटाई है और जांच आगे बढ़ाई जा रही है।
शहर में साइबर क्राइम का बढ़ता खतरा
राजस्थान में साइबर अपराध का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। यह घटना इस बात का संकेत है कि साइबर अपराधियों की नई रणनीतियां बेहद जटिल और खतरनाक हो चुकी हैं। आजकल साइबर ठग केवल व्यक्तिगत डेटा से लेकर बैंकों के खातों तक की जानकारी चुराकर बड़ी मात्रा में धन की धोखाधड़ी कर रहे हैं। ऐसे अपराधों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन को और अधिक सावधानी और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना होगा।
नए तरीके से साइबर अपराध का फैलाव:
पुलिस के मुताबिक, साइबर अपराधी अब क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करके अपनी गतिविधियों को और अधिक गोपनीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। क्रिप्टोकरेंसी के जरिए पैसे का ट्रांसफर करना मुश्किल होता है और यह बिना किसी सरकारी निगरानी के होता है, जिससे जांच में और अधिक मुश्किलें आती हैं। ऐसे में यह घटना यह दिखाती है कि साइबर अपराधी कितनी तेजी से नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं और अपराधियों के नेटवर्क का फैलाव कितना व्यापक हो चुका है।
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी
कोटा पुलिस ने आरोपी अक्षय कुमार, राकेश, रामदीन और भोम सिंह को जोधपुर से गिरफ्तार किया। इन सभी आरोपियों को 16 जनवरी को हिरासत में लिया गया था और पूछताछ के दौरान मामला खुलासा हुआ। पुलिस ने आरोपियों से और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की है और जांच को आगे बढ़ाने के लिए बैंक अकाउंट होल्डर्स के बारे में जानकारी जुटाई है। पुलिस का मानना है कि इस स्कैम के पीछे एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधी नेटवर्क हो सकता है, जो क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल कर भारत और अन्य देशों में धोखाधड़ी कर रहा है।
अपराधियों से कैसे बचें:
इस घटना ने यह भी साबित कर दिया है कि आम लोग भी साइबर अपराधियों के जाल में फंस सकते हैं। ऐसे में लोगों को डिजिटल लेन-देन के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए। खासकर, बैंक खातों और व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखना बेहद महत्वपूर्ण है। साइबर सुरक्षा के उपायों को अपनाने और ऑनलाइन ठगी के शिकार होने से बचने के लिए नागरिकों को जागरूक किया जा रहा है।
साइबर अपराध से बचने के लिए सरकार की पहल:
राजस्थान सरकार और पुलिस प्रशासन ने इस मामले के बाद साइबर अपराधों को रोकने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। लोगों को साइबर क्राइम के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं, और साइबर अपराध से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन भी स्थापित की गई है।